सोहगरा धाम (देवरिया)।'पत्रकारिता समाज का सच उजागर करती है औऱ भारतीय पत्रकारिता में ग्रामीण पत्रकारों की भूमिका अहम् है।' उक्त बातें बाबा हंस नाथ सोहगरा धाम में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार ।महासंघ द्वारा हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित 'ग्रामीण पत्रकारिता' विषयक संगोष्टी में महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरदार दिलावर सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कहीं। नेशनल प्रेस यूनियन के प्रान्तीय अध्यक्ष विपुल कुमार तिवारी ने इस अवसर पर सभी को संगठित होने की अपील की।
ग्रामीण पत्रकार एशोसियेशन से त्यागपत्र देकर पत्रकार महा संघ में आये वरिष्ठ पत्रकार रामदरस गुप्ता ने पीत पत्रकारिता से दूर रहने की सलाह दी। कार्यक्रम को पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ जनार्दन सिंह, महा संघ के मंडलीय अध्यक्ष सत्यप्रकाश पाण्डेय, जिला महासचिव प्रदीप चौरसिया, अमन टीवी के राकेश पाण्डेय, सूबेदार वीके शुक्ला, ओमप्रकाश शर्मा, राजाराम गुप्ता, रामभरोसा चौरसिया, डॉ गोपेश, पुरुषोत्तम तिवारी, रामप्रताप पाण्डेय अदि ने अपने अमूल्य विचार रखे।
गोष्ठी में जवाहर लाल गुप्ता, शिवलाल वर्मा , सुभाष मिश्र, त्रिभुवन पाण्डेय, डॉ तनवीर आलम लारी, डॉ शिव कुमार यादव, श्याम कुमार साहनी, अरुण कुमार गुप्ता, आमोद कुमार यादव सहित अनेक पत्रकारों एवम बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
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कानपूर : योगी राज में पत्रकारो पर हमले उत्पीडन रुकने का नाम नही ले रहा।
सत्य लिखना हुआ मुश्किल ,कहीं बर्बर लाठीचार्ज तो कहीं कटु शब्दों बदसलूकी जारी ।
नौबस्ता थाना प्रभारी द्वारा महिला के ना सुनने उत्पीडन पर खबर लगाने के बाद दरोगा ने किया भारतीय पत्रकारिता के अधिकार का उलंघन ।
संपादकीय नीति को प्रभावित कर लाभ उठाने के रूप में सरकार अथवा व्यक्तियों द्वारा विज्ञापन ने देना की धमकी अथवा वापिस लेना , धमकी देना प्रेस की स्वतंत्रता को संकट डालता हैं अर्थात इस सन्दर्भ में संपादक की स्वतंत्रता को संकट में डालने के समान है। ये सरकार को भी समझ लेना चाहिए ।
साप्ताहिक मुजाहिद अखबार के मामले, पी.सी.आई. रिव्यू जुलाई 1983 पृ0 44 और ट्रिब्यून, पी.सी.आई. वार्षिक रिर्पोट 1970, पृ0 45 में ये उलेखित देखा जा सकता हैं ।
किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार दिया गया हैं - और पत्रकार उसके उत्पीडन पर कवर करे तो कोई नीति को प्रभावित नही कर सकती या उसे रोका नही जा सकता। यही नही न्हिला बलात्कार की शिकार हुई पीड़ित को अधिकार है और थानो में इसका पालन हो और भारतीय पत्रकारिता को अधिकार हैं की प्रमुख कानून पालन न होने पर उसे उजागर करे ।
एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, यदि कोई भी दरोगा इस तरह करे पत्रकार के अधिकार में आता हैं उसे वो कवरेज करे ओसके साथ किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है कोई भी दरोगा सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार करे ।
एक पत्रकार को अपने निजी और गोपनीय सूचना सूत्रों का स्रोत प्रकट करने के लिये कहना, जनहित की घटनाओं पर रिपोर्ट करने के उनके दायित्व के उल्लंघन के समान है और कोई शासन प्रशासन के पास अधिकार नही की वो उसका उलंघन करने पर उसे मजबूर करे या खुद करे । इस इसके सतब प्रेस की स्वतंत्रता को धमकी देना है प्रेस संवाद् दाता का मामला, हिन्द समाचार, पी.सी.आई, वार्षिक रिपोर्ट 1973 पृ0 27 उलेखित देखा जा सकता हैं ।
भारतीय पत्रकार महासंघ से राकेश पाण्डेय ने कहा ये बात जितनी जल्दी कानपुर नौबस्ता थाना प्रभारी समझ जाये उतना अच्छा और नही तो पत्रकार पत्रकारों के अधिकार के उलंघन पर Case, Terms Allegations As ‘Contemptuous के तहत
Petitions दायर करेगा जिसका आप स्वम् जिम्मेदार होंगे ।
क्योकि आपने जो की दबंगई ,दिखाते पत्रकार की सत्य की कलम को रोका हैं खबर लगाने से और ये आपको इतना नागावार गुजरा की आप ने इसे बलपूर्वक पत्रकार पर हमला किया व उस का कैमरा तुड़वाया,आप कोई कोर्ट में बचा नही पायेगा ।
आगे उन्होंने कहा हैं की पत्रकारों के अधिकार.पत्रकार के हित के मामले पर पत्रकार संघ प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने से और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निभाता रहा हैं और इस मामले पर भी वही करेगा।
प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में दिखेगी या प्रेस स्वतंत्रता को धमकियाँ देने के मामले में यदि किसी भी दरोगा का नाम आएगा या उन्हें समाचारपत्र में अभिव्यक्त लगाने के चलते उत्पीडन किया जायेगा तो संगठन उसे निंदनीय मानते कार्यवाही को मजबूर होगा ।
समाचारपत्र में अभिव्यक्त लगाने पर क समाचारपत्र अथवा वे लोग, जोकि संपादकीय के रूप में इससे जुड़े हुए हैं अथवा मैनेजमैंट में है, पर समाचारपत्र में अभिव्यक्त की गयी राय के लिये उन पर दबाव डालने अथवा उन्हें भयादोहित करने के इरादे से हमला प्रेस की स्वतंत्रता में घोर हस्तक्षेप है। मलयाला का मामला, पी.सी.आई.रिव्यू. जनवरी 1983 पृ0 62 में जो बर्णित हैं इस पर मंथन होना चाहिए ।
इसके साथ पीड़ित पत्रकार ताजा मामला नौबस्ता थाने का है जो हैं जिधर बीती रात एक शोहदे के आतंक से परेशान महिलायें अपनी व्यथा के निवारण हेतु थाने पहुची थीं।
पर यहाँ की पुलिस जो अमेशा अन्य के साथ करती आई हैं इस पीडिता के मामले में भी किया और टरकाने का कार्य करते रहे । तब पीड़ित महिलायें आक्रोशित हो बवाल की । इस मामले की सूचना पा कर जब एक सेटेलाइट चैनल के पत्रकार दीपक मिश्रा मौके पर पहुंचे और लाइव विजुवल बनाने लगे तो अपनी कलई खुलती देख थाना प्रभारी ने अपने कुछ सिपाहियों को भेज कर पत्रकार पर हमला बोलते उसका का कैमरा तुड़वा दिया।
यही नहीं सिपाहियों ने पत्रकार को बिना वजह विजुवल बनाने से रोका जो पत्रकारिता सविधान का उलंघन हैं और गुंडों की तरह ये साहब गाली गलौज करने लगे यहाँ तक की पत्रकार पर हाथ छोड़ने का प्रयास किया और धक्का मुक्की को अंजाम दिया । इस घटना की भारतीय पत्रकार महासंघ निंदा करता हैं ,व उपरोक्त पत्रकार के सविधान पर यदि कहीं भी पत्रकारों का उत्पीडन होगा उसे स्वीकार नही किया जायेगा ।
प्रेषक
भारतीय पत्रकार महासंघ