रंजीत यादव।
गोरखपुर। इनके दावे को कोई भी अखबार समर्थन नही करता ।कोई मित्र बता रहा था नाम नही याद आरहा है कि sp city रहे परेश पांडेय जी ने एक डॉक्टर साहब को खूब लताड़ लगाई थी साथ ही पूछा भी था कि जरा ये बताओ ये टेढ़े को किस हतोड़े से सीधा करते हो ,बड़े लम्बे समय तक कमरे में पूरा सन्नाटा रहा। उनके समय मे टेढ़ा को सीधा करने वाला शब्द विज्ञापन में छपना बंद हो गया था खैर अखबार, पत्र -पत्रिका को क्या, पैसा लिया टेड़ा सीधा हो या टूट जाये मीडिया समूहों का कुछ नही जाता क्यों कि उनका सीधा होता है उद्देश्य ।
पर आज की युवा पीढ़ी इनके शब्दों के मकड़ जाल में बड़ी आसानी से फंस जाती है जैसे बचपन की गलतियां-छोटापन पतलापन अरे प्रकृति की वेवस्थाओं से खिलवाड़ करके काहे कु बदलाव करने पर तुले पड़े हो भैया ? गांवों के ही नही शहरी छेत्रो के लोग भी इनके मकड़जाल में फंस जाते हैं इनकी ठगेहि कर इन्कम का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनके विग्यापन सभी बड़े बड़े अखबारों खासकर पूर्वांचल के सभी एडिसन में छपते रहते है ।
मीडिया को मैनेज करने के लिए भी ये शहर के एक बड़े अखबार के कर्मचारी को अपने यहां का गुलाम बना कर रख लेते हैं। एक डॉक्टर साहब ने तो बाकायदा लखनऊ और गोरखपुर के साथ साथ अन्य जनपदों में बैठने के लिये बाकायदा दिन फिक्स कर रखा है क्लिनिक खोल रखी है बाकायदा स्टाप रख रखे हैं मिलने के लिये पहले आपको समय लेना पड़ेगा । आपको याद होगा पहले एक विज्ञापन आता था "खोखर डिस्पेंसरी" उस व्यक्ति ने शहर के आधा दर्जन अखबारों का एक बहुत बड़ा एमाउंट लेकर शहर ही बदल दिया लोग बताते है कि वाराणसी की गलियों में अब नए तेल को बना कर जोश पैदा कर रहा है यहां अखबार के कर्मचारी जोश के साथ होश खो दिये ?अमरोहा का हाशमी दवाखाना भी लिंग को सीधा,मोटा व सुडौल बनाने में माहिर है,जिसके बड़े बड़े विज्ञापन लगभग सारे बड़े अखबारों में न सिर्फ छापे जाते हैं बल्कि बड़े बड़े दावे भी किए जाते है, जिसमें अधिकतर लोग फंस ही जाते हैं।
गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार रंजीत यादव जो एक मासिक पत्रिका के संपादक भी हैं, ने 'कवरेज इण्डिया' को बताया कि हमने भी उसके तेल के विज्ञापन को छापा था।आप दुकान चलवाये हम भी मदद करेंगे ? पैसे जो देते हैं किंतु शब्दों का विरोध करिये जो सही नही है जो समाज मे भ्रम पैदा करते हैं जो मेरी नजीरिये से गलत है ।बता दें कि कवरेज इण्डिया न्यूज कभी भी खबरों से समझौता नहीं किया है साथ ही समय समय पर अपनी खबरों से समाज में व्याप्त कुरितीयों पर भी कुठाराघात करता रहा है। बहोत जल्द हम कुछ डॉक्टरों को चिन्हित कर सीरीज चलाएंगें जिसमें आप भी सहयोग करें मित्रों मै भी विज्ञापन छापता हु किन्तु जब मुझे शब्दों से दिक्कत होती है तो मैं नही प्रकाशित करता हूँ और मुझे नेता जी विज्ञापन देने कार्यालय आते नही इस लिये छापने की जरूरत पड़ जाती है।बहुत पहले हम सुद्प्लस नाम के गुटके का प्रचार छापते थे उसी दौरान सुधप्लस के खिलाफ ख़बर हाथ लगी वो भी छापना सुरु किया जो करीब 4 महीने चली ,और जो विज्ञापन आरहा था वो भी बंद हो गया खैर मैं विज्ञापन के खोने के मोह में ख़बर नही छोड़ता ,अब इनका भी नंबर है समय मिलते ही इनका इतिहास निकालने में लगेंगे ...


वाह यादवजी..!!👌👌