Exclusive: उत्तर प्रदेश के 5 बाहुबली नेता , जिनके आगे सत्ता भी सर झुकाती है


कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
उत्‍तर प्रदेश में जैसे ही चुनावी बिगुल बजता है तो , इसके साथ साथ अपराध का भी बोलबाला होने लगता है , जैसे की राजनीती और अपराध का कोई आत्मीय सम्बन्ध हो , उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे नेता हुवे है जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीती को काफी हद तक प्रभावित किया है।

अपराधियों को नेताओं का सपोर्ट खुले आम देखने को मिलता है आखिर यह केसी राजनीती हमारे लोकतंत्र में आगयी है , 60 सालों से ज्यादा लम्बे भारतीय राजनीती इतिहास में अपराधी इतने मजबूत है के कोई भी राजनितिक पार्टी उन्हें नजरअंदाज नहीं कर पाती , आलम यह है की पार्टी उनको नहीं चुनती है बल्कि वो पार्टी को चुनते है की आखिर उन्हें किस पार्टी से चुनाव लड़ना है , इसलिए इन सबको बाहुबली कहना उचित होगा।

उत्तर प्रदेश की राजनीती के टॉप 5 बाहुबली नेता 


1 . हरिशंकर तिवारी : 
हरिशंकर जी गोरखपुर के है , राजनीती में अपराधीकरण गोरखपुर से ही शुरू हुआ था तब से हरिशंकर जी इसके अगुवा रहे , पूर्वांचल में तिवारी का नाम का सिक्का चलता था , यह पूर्वांचल का ऐसा नेता है जो सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी पार्टी में जाकर पाला बदलता है , पहले कांग्रेस फिर बीजेपी , उसके बाद सपा और अब पुरे के पूरे बसपा में है , हरिशंकर तिवारी गोरखपुर से 6 बार विधायक रह चुके है ,हरिशंकर तिवारी के नाम से पूरा इलाका काँपता है , रेलवे साईकिल स्टैंड से लेकर सिविल की ठेकेदारी में इनका ही दबदबा रहा है , इन्ही के रसूक के दम पर इनके रिश्तेदार और बेटे लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीतते आये है।


2 . अतीक अहमद : 
देश की सियासत में कई ऐसे नेता हुवे जिन्होंने जुर्म की दुनिया में रहते हुवे राजनीती में भी कदम रखा, अपराध की दुनिया में नाम कमा चुके अतीक अहमद को समझ आगया था की सत्ता अपरधिकरण के सहयोग के लिए कितनी मत्वपूर्ण है , 1989 में पहली बार इलाहबाद विधानसभा से विधायक बने अतीक ने 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याक्षी के रूप में लड़ा था और विधायक भी बन गया था 1996 में उनको समाजवादी पार्टी ने अपना नाम दिया और वो फिर से चुनाव जीत विधायक बने। वर्ष 2005 इनपर और इनके भाई पर बसपा विधायक राजू पाल की हत्या करवाने का आरोप भी लगा। आज भी अतीक के ऊपर हत्या और अपहरण के 42 मामले दर्ज़ है।


3. मुख्त्यार अंसारी : 
अपराध की दुनिया से राजनीती में आने वाले मुख्तयार अंसारी को पूर्वांचल का रोबिन हुड भी कहा जाता रहा है , मऊ विधानसभा क्षेत्र में रिकॉर्ड लगातार 4 बार विधायक बने, साथ ही इनके ऊपर बीजेपी नेता कृष्णानन्द की हत्या का आरोप भी लगा एक समय ऐसा भी था जब माफिया रहे बृजेश सिंह और मुख्यतार की दुश्मनी ने पूर्वांचल की धरती को लाल कर दिया था, अंसारी आज भी कई जगह कब्ज़ा जमाये बैठा है जिनमे रेलवे ठेकेदारी, खनन , शराब आदि पर दबदबा बनाया हुआ है।


राजा भैया:
उत्तर प्रदेश की धरती पर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया एक जाना माना नाम है , सपा सरकार के कुनबे में केबिनेट मंत्री राजा भइया अभी काफी चर्चा में है , क्युकी अभी उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चाये गर्म है ,राजा भैया पर DSP जियाउल हक़ सहित कई लोगों की हत्या का आरोप है , जिसके बाद उन्हें अखिलेश के मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी देना पड़ा था लेकिन सीबीआई द्वारा क्लीनचिट मिलने के बाद उन्हें वापस मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था।


5. अमर मणि त्रिपाठी : 
अगर कोई शक्श UP की राजनीती से परिचित है तो वो अमर मणि को जरूर जानता है ,2003 में उत्तर प्रदेश की कवियत्री मधुमिता शुक्ला के हत्या के आरोप में इन्हे गिरफ्तार भी किया गया था , और अभी वो इसी जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे है , उनके ऊपर मधुमिता की हत्या के अलावा कई मामले दर्ज़ है , लेकिन उनके राजनितिक रसूक की वजह से कोई भी केस अपने मुकाम तक नहीं पहुँच पाया। राजनीती में आने से पहले ही उनके ऊपर हत्या सहित 33 मुकदमे दर्ज थे। 

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