सीतामढ़ी/जंगीगंज(भदोही) से रामकृष्ण पाण्डेय की रिपोर्ट। आप ज्यादातर सरकार की खाली जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले ही सुने और देखें होंगे किन्तु यह मामला निश्चित रूप से प्रशाशन की लापरवाही और उसकी दबंग के साथ सरपरस्ती की कहानी बयां करता दिख रहा है। मामला डीघ क्षेत्र के बड़ागांव से जुड़ा हुआ है। जहां उक्त गांव की खसरा संख्या 1188 जो पंचायत भवन के नाम से दर्ज है में दशकों पूर्व पंचायत भवन कार्यालय बना था। शासकीय धन से बने पंचायत भवन को अवैध ढंग से जबरन गांव के ही दबंग भारतभूषण पुत्र ताड़केश्वर शुक्ला द्वारा न सिर्फ गिरा दिया गया बल्कि गिरे हुए भवन की सामग्री क्रमशः ईट, पत्थर, गार्टर, पटिया आदि का उपयोग कर बाकायदा मकान भी बना दिया गया। उक्त आरोप लगाते हुए बड़ागांव ग्राम प्रधान जयप्रकाश दुबे ने आईजीआरएस के माध्यम से प्रमुख सचिव पंचायतीराज यूपी, अध्यक्ष राजस्व विभाग यूपी, मंडलायुक्त मिर्जापुर, जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी भदोही से शिकायत की है।
उनका आरोप है कि उक्त प्रकरण के सम्बंध में अन्य ग्रामीणों द्वारा 2012 में की गई शिकायत पर आख्या देते हुए लेखपाल, कानूनगो व तहसीलदार ज्ञानपुर ने कहा है कि कब्जाधारक काफी सम्पन्न एवं भूमाफिया किस्म का व्यक्ति है तथा उसके राजनीतिक व्यक्तियों से सम्बंध हैं। पूर्व प्रधान प्रतिनिधि रहे दबंग की शुरू से ही नियत जमीनों को हथियाने की रही है उसने प्रधान पद की आड़ में कुछ अरसा पहले पंचायत भवन की बिल्डिंग को गिरवा दिया और कब्जा कर लिया। इस प्रश्न का प्रकरण में संज्ञान लेकर पंचायत राज विभाग को आवश्यक कार्यवाही हेतु तहसीलदार /उपजिलाधिकारी ज्ञानपुर द्वारा निर्देशित किए जाने की संस्कृति की गई है। किंतु कई वर्ष बीत जाने के बाद भी इसपर कोई कार्रवाई नही हो सकी। शिकायतकर्ता ने प्रशासन से मामले को गम्भीरता से लेते हुए नियमानुसार कार्रवाई की मांग की है। वास्तव में बड़ा प्रश्न यहां यह है कि ग्रामीणों की शिकायत के बाद यदि तहसील प्रसाशन मामले से वाकिफ हुआ तो कार्यवाई इतने दिनों से लंबित क्यों है? क्या कब्जाधारक को भूमाफिया करार करने वाले तहसील प्रशासन के कर्मी ही तो नही दबंग से मिलजुल कर मौन हैं।

