डाक्टरों के कक्ष में हीटर, और मरीज किराये की रजाई में


सानू सिंह चौहान कवरेज इण्डिया शाहजहांपुर।
शाहजहांपुर/निगोही : शीतलहर का दौर अपने चरम पर है। न्यूनतम तापमान 7 से 8 डिग्री के बीच दर्ज किया जा रहा है। भरी दोपहरी में भी ठंडी हवाएं हड्डी कड़कड़ा रही हैं। ऐसे में आमजन ठंड से बचने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं। कोई गर्म कपड़ों की मदद से खुद को बचा रहा है तो कोई आग जलाकर ताप रहा है। लेकिन निगोही सीएचसी में  ठंड से बचने की कोई व्यवस्थाएं नहीं है। शीतलहर के ऐसे दौर में भी सीएचसी प्रबंधन द्वारा मरीजों के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं हैं। अस्पताल में मरीजों को ऐसी ठंड में बचने के लिए मरीजों के तीमारदार ठंड से बचने के लिए रजाई या तो किराये पर लाते हैं या घर से। अस्पताल में तो बेडसीट भी नसीब नही हो रही है। जिससे मरीज ठंड में कंपकपा रहे हैं।

दरअसल ठंड के दिनों में खासतौर से शीतलहर के समय अस्पताल में तापमान को नियंत्रित करने के लिए प्रबंधन की ओर से हीटर आदि का प्रबंध किया जाना चाहिए। लेकिन वर्तमान में पूरे अस्पताल के किसी भी वार्ड में हीटर की व्यवस्था नही की गई। जबकि डाक्टरों ने अपने कक्षों में हीटर की व्यवस्था पहले से ही कर रखी है।

अपने साधनों पर ही निर्भर मरीज
- अस्पताल प्रबंधन द्वारा व्यवस्था नहीं की जाने के कारण मरीजों को अपने घरेलू साधनों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। कई मरीज अपने साथ ही रजाई और गर्म कंबल लेकर आ रहे हैं। अस्पताल में कंबल व रजाई न मिलने के कारण मरीजों के साथ तीमारदारों को भी परेशान होना पड़ रहा है।

अन्य सुविधाएं तो दूर की बात
- सीेएचसी में मरीजों को जब कड़ाके की ठंड से बचने के कोई इंतजाम नही किये गये तो ऐसे में ठंड को देखते हुए अन्य सुविधाओं की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है। अस्पताल में पानी, दूध या चाय गर्म करने के लिए भी कोई साधन नहीं है। मरीजों के परिजन को अस्पताल परिसर में स्थित चाय दुकान या अन्य होटल पर इन सब बातों का इंतजाम शुल्क चुकाकर करना पड़ता है।

फिर आई पूर्व कलेक्टर विजय किरन आंनद की याद
- ठंड के दिनों में यहां के लोगों को एक बार फिर से पूर्व कलेक्टर विजय किरन आंनद की याद ताजा हो आई है। मरीजों की ठंड में हो रही फजीहत को देखने के लिए जिम्मेदारों के पास या तो समय नहीं है या फिर सीएचसी में सब कुछ ठीक चल रहा है। लोगों का कहना है कि विजय किरन आनंद होते तो अभी तक अस्पताल का निरीक्षण कर उनकी परेशानियों का संज्ञान जरूर ले लेते, लेकिन अब यहां कोई नहीं आता।

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