कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
वो गणतंत्र दिवस का समय था, इस खास दिवस को लेकर पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया था। पुलिस जगह-जगह चेकिंग अभियान भी चला रही थी, सबने सोचा था कि हिन्दू मुस्लिम नहीं बल्कि ये राष्ट्रीय पर्व है जिसका सब सम्मान करेंगे जाति, मत, मज़हब से ऊपर उठ कर लेकिन कहीं और शायद कोई जल रहा था किसी पुराने प्रतिशोध में ..
कासगंज में पांच दिन पहले चामुंडा मंदिर पर बैरीकेड लगाने के विवाद से चरमपंथी काफी नाराज थे ..भले ही उन्हें अपनी सहूलियत के लिए सड़क तक चाहिए चाहे कितना भी जाम आदि क्यो न लग जाये लेकिन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उन्हें मन्दिर के पास अस्थाई बैरिकेड कतई गंवारा नहीं था..यही बात उन्हें अंदर से जला रही थी ..
चरमपंथी लोगों और श्रद्धालुओं के बीच बदअमनी का कारण पांच दिन पहले से बना हुआ था। जब नगर के चामुंडा मंदिर पर पुलिस प्रशासन ने बैरीकेड लगाकर वाहनों का प्रवेश रोक दिया था। इस बात को लेकर दूसरे समुदाय के लोगों ने विरोध जताया था। प्रशासन ने मंदिर पर सुरक्षा कर दी, बस यहीं से सुलगने लगा था चरमपंथ का बदले वाला मिज़ाज़ .
माना जा रहा है कि चन्दन का कत्ल उसकी एक वजह हो सकती है और तिरंगा यात्रा पर हमला एक सोची समझी साजिश ..लेकिन अयोध्या में श्रीरामस्थल पर मन्दिर न बने , कासगंज में चामुंडा मन्दिर की सुरक्षा न हो जैसी सोच किस प्रकार से धर्मनिरपेक्षता का हिस्सा हो सकती है ये बड़ा सवाल देशवासियो के लिए है ..
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