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| राम प्रताप सिंह (मरीज) |
इलाहाबाद। खर्राटे की समस्या जिस भी व्यक्ति को होती है उसका सोना ही नहीं बल्कि जीना भी मुश्किल हो जाता है, जी हां मैं बिल्कुल सही कह रहा हूं क्यों कि मुझे ये बीमारी पिछले 5 सालो से थी जिसका इलाज मैंने कई वर्षों तक विभिन्न अस्पतालों में कई डाक्टरों द्वारा कराया पर जब तक इलाज चलता तभी तक आराम मिलता।
दवा बंद होते ही स्थिती जस की तस हो जाती थी। उपरोक्त बातें बलिया निवासी राम प्रताप सिंह जो पेशे से लोको पायलट (ट्रेन के ड्राइवर) हैं ,ने 'कवरेज इण्डिया' से हुई एक भेंट वार्ता में कही। राम प्रताप सिंह ने बताया कि मैं टुंडला में पोस्टेड हूं , जब मैं ट्रेन लेकर चलता था तब हमेशा मेरे शरीर में सुस्ती बनी रहती थी जिसके कारण मुझे नींद आने लगती थी, लाख चाहने के बाद भी आंखे बंद होने लगती थी। मेरे ऊपर लाखों यात्रियों की सुरक्षा की भी जिम्मेवारी होती थी इस कारण मैं हमेशा रात में ट्रेन चलाते समय पानी के छीटे अपनी आंखों में मारता रहता था जिससे मुझे नींद न आए।
घर पर रहूं या किसी जानने वाले के पास हर जगह मुझे सोने में झिझक महसूस होती थी क्योंकि सोते समय खर्राटों की आवाज से न सिर्फ लोग डिस्टर्ब होते थे बल्कि मेरी हंसी भी उड़ाते थे।एक दिन अखबार पढ़ते समय मैंने डा. राजेश श्रीवास्तव, होमियोपैथ चिकित्सक (मां होमियो चिकित्सा केंन्द्र,इलाहाबाद) के बारे में पढ़ा और जाकर अपनी समस्या को बताया।
डा. साहब ने बड़े ही शालीनता से मुझे सुना और मेरी बीमारी को समझकर मेरा इलाज शुरू किया साथ ही बगैर लापरवाही के लगातार दवा खाते रहने की चेतावनी भी दी। लगभग चार महीने तक दवा खाते रहने के बाद ही मुझे अपने आप में काफी बदलाव महसूस होने लगा। अब मुझमें पहले से अधिक चुस्ती व स्फूर्ती का अनुभव होने लगा था और घर वालों से पता चला कि सोते समय अब मुझे खर्राटे भी नहीं आते।
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