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| फाइल फोटो- शहीद,जेपी सिंह |
पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि खुंखार बबुली कोल गिरोह जंगल किनारे के गांव निही चिरैया के करीब वन विभाग की चौकी के आसपास मौजूद है। इस पर पुलिस कप्तान ने मऊ और मानिक सर्किल की दो पुलिस टीमें बनाकर जंगल की तरफ रवाना किया। पुलिस को देखते ही डकैत गिरोह ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं, पुलिस जब तक संभलती दरोगा जेपी के पेट और पैर में दो गोलियां लगीं। पुलिस जब तक उनको जंगल के बाहर लाती मौत हो गयी। इसके बाद पुलिस की दोनों टीमों ने डकैतों को घेर कर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। शहीद दरोगा जेपी सिंह मूल रूप से जौनपुर के नेवरिया थाना क्षेत्र के बनोवरा गांव के रहने वाले हैं।
पुलिस की गोली से निही के पुरवा औदरा का रहने वाला डकैत राजू कोल घायल हो गया। पुलिस ने घेराबंदी कर राजू कोल समेत तीन तकैतों को पकड़ लिया, बाकी डकैत पीछे हट कर गोलियां चलाते रहे। छह घंटे से जारी मुठभेड़ में दोनों तरफ से लगातार फायरिंग चल रही है।
साथी के मरने पर गुस्से में पुलिस
डकैतों से मुठभेड़ शुरू हुई तब पुलिस को यह अहसास नहीं था कि डकैत इकदम फायरिंग शुरू कर देंगे लेकिन अचानक फायरिंग से दरोगा के शहीद होने पर पुलिस में आक्रोश फैल गया। इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इससे भयभीत डकैत पीछे हटने लगे, जिससे पुलिस को तीन डकैतों को पकड़ने में सफलता मिली। पुलिस की तरफ से एक बाग बबुली कोल के दाहिने हाथ 60 हजार के इनामी लवलेश कोल के मारे जाने की खबर बाहर आयी लेकिन बाद में बताया गया कि उसको पुलिस ने अभी फायरिंग करते देखा है, माना जा रहा है उसको भी गोली लगी है लेकिन वह अभी जिंदा है।
आसपास गावों में दहशत
पुलिस और डकैतों के बीच मुठभेड़ से आसपास के गावों में भारी दहशत है। गांव वालों को डल है कहीं डकैत किसी गांव में न घुस जाएं, इसके चलते ज्यादातर ग्रामीणों ने अपने को घरों में कैद कर लिया है। घायल डकैत भी जंगल किनारे गांव का रहने वाला है और इन गावों में डकैतों को शरण भी मिलती है इसलिए पुलिस कार्रवाई का भी गांव में भय है।
बबुली पर 5.30 लाख का इनाम
बबुली कोल पर उप्र से पांच लाख और मप्र से 30 हजार का इनाम है। दोनों प्रदेशों की पुलिस ने मिल कर कई बार उसके खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया है लेकिन वह हाथ नहीं लगा। जंगल की अच्छी जानकारी और आसपास के गावों में शरण मिलने के कारण वह हर बार बच कर निकला रहा है।
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