सानू सिंह चौहान की रिपोर्ट
एक महान कुल, जिसमें शुरुआत से लेकर अब तक धर्म के लिये सर कटाने वाले वीर पैंदा होते रहे हैे, चाहे अधर्म का नाश हो, चाहे आक्रान्ताओं से धूल चटना हो, चाहे फिरंगिओं से टक्कर हो, इतिहास गवाह है, "आज भी बोर्डर पर सबसे पहले देश की रक्षा करने के लिए बलिदान देने वाला राजपूत ही हैे", संस्कृतीक धरोहर जिससे आज हिंदुस्तान की सरकार धन कमा रही हैे वो भी हमारे ही तो हैे, सब कुछ त्याग करना ही तो सीखा आज तक, शुरू में । माँ, बेटे, बच्चे, भाई, बहन, पिता, व समस्त परिवार भी हस्ते - हस्ते बलिदान की बली पर चढ़ाये हैे, भारत की प्रजा, देश प्रेम, के लिए रजवाड़े त्यागे, पूर्वजों की धरोहर महल त्यागे, अपनी निजी संपत्ति त्यागी, अपने खजाने त्यागे, जमीन त्यागी, यहाँ तक जो हमारे पूर्वज माँ भवानी रूपी तलवार हरदम अपने हाथों में लिये चलते थे वो भी त्याग कर दिया। बताओं क्या कम त्याग था हमारा, प्रजा और गरीबी को मिटाने के लिए खुद के लिये कुछ नही माँगा कभी, औंर। आज 70 सालों में हम दर - दर की ठोकरे - खाने पर मजबूर फिर भी स्वाभिमान जिन्दा हैे, न कुछ मांगते हैे, लेकिन त्याग के बावजूद क्या मिला, हमें मिटाने की शाजिशे, गालियाँ, इतिहास से खिलवाड़, आरक्षण की मार, क्या। इसी लिए कुर्बानिया दी थी हमने, क्या यही तुम्हारा कानून हैे, बस भूल गए रहम, आज हमारी कॉम का हर बच्चे का यही सवाल है आखिर क्यों हमने इतना त्याग किया, "धोखे के सिवा आखिर क्या मिला"...??
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