भारत 15 साल बाद बना जूनियर वर्ल्ड हॉकी चैंपियन

  
लखनउ,    बेल्जियम को फाइनल में 2-1 से हराकर रविवार को जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम करने वाली भारतीय टीम के कप्तान हरजीत सिंह ने कहा कि यह खिताब पिछले कुछ सालों से टीम द्वारा की गई मेहनत और तैयारियों का नतीजा है।
घरेलू दर्शकों के सामने भारतीय टीम ने दमदार प्रदर्शन किया और पूरे मैच के दौरान बेल्जियम पर हावी रहे। भारत ने गुरजंत सिंह और सिमरनजीत सिंह के दो शानदार फील्ड गोलों की बदौलत बेल्जियम को 2-1 से हराते हुए 15 साल के अंतराल के बाद दोबारा जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया।


भारतीय जूनियर हॉकी टीम के कप्तान हरेंद्र सिंह 'साधारण खेल' के तरफदार हैं और उसी तर्ज पर भारतीय टीम ने अविजित रहते हुए वर्ल्ड कप खिताब जीता।
खिताब जीतने के बाद कप्तान हरजीत सिंह ने कहा, “यह एक शानदार जीत है और हम इसके हकदार थे। हम पिछले दो सालों से इस टूनार्मेंट के लिए कठिन मेहनत कर रहे थे। हमने टूनार्मेंट-दर-टूनार्मेंट खुद में सुधार किए।


हरजीत सिंह ने कहा, “अनेक कठिनाइयों के बावजूद हम एक टीम के रूप में एकजुट रहे और इससे में फायदा मिला। हमने पूरे टूनार्मेंट में अच्छी हॉकी खेली और हमें लखनऊ के खेल प्रेमियों का अच्छा समर्थन मिला। स्थानीय खेल प्रेमी बड़ी संख्या में हमारा समर्थन करने यहां जुटे।”

 ये हैं जीत के 6 कारण:
- टीम के कोच हरेन्दर सिंह का टीम की तैयारियों में बड़ा योगदान रहा। कई कठिनाइयों के बावजूद टीम एकजुट होकर खेली।
- कोच ने पिछले एक महीने से सभी खिलाड़ियों को मोबाइल फोन से दूर रहने को कहा।
- गुरजंत, मनदीप, सिमरनजीत सिंह, हरप्रीत, वरुण, परविंदर, अजित, अरमान क़ुरैशी सबने मौका मिलने पर गोल किया।

- सबसे बड़ी बात ये रही कि पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम किसी एक खास खिलाड़ी पर निर्भर नहीं रही।
- कोच हरेन्दर ने अपने अनुभव के दम पर टीम के खिलाड़ियों की फिटनेस पर पूरा ध्यान दिया।
- इसके अलावा सीनियर टीम के कप्तान गोलकीपर पी श्रीजेश की जूनियर टीम के गोलकीपर विकास दहिया को दी सलाह भी काम आई।

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