कोरोना ब्रेकिंग। विरोध और नारेबाजी के बीच फाफामऊ घाट पर इंजीनियर बीरेंद्र सिंह की अंत्येष्टि


कवरेज इण्डिया न्यूज़ डेस्क। 
प्रयागराज : कोरोना संक्रमित इंजीनियर बीरेंद्र सिंह का बुधवार को दोपहर बाद फाफामऊ घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। घाट पर बीरेंद्र के भतीजे पंकज सिंह उर्फ मोहित ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अफसर, कर्मचारी मौजूद रहे। 

कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के  बाद सांस लेने में दिक्कत की शिकायत पर बीरेंद्र सिंह को एसआरएन हास्पिटल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। यहां मंगलवार को उनकी तबीयत बिगड़ी। उन्हें वेंटीलेटर का सपोर्ट दिया गया लेकिन रात करीब 11.30 बजे उन्होंने उपचार के दौरान अंतिम सांस ली थी। 

शंकरघाट विद्युत शवदाह गृह ले जाने की थी तैयारी :
प्रशासन ने कोरोना प्रोटोकॉल के हिसाब से बीरेंद्र सिंह की अत्येंष्टि शंकरघाट विद्युत शवदाह गृह में कराने का निर्णय लिया था। सुबह नौ बजे परिजनों को कालिंदीपुरम क्वारंटीन सेंटर से एसआरएन लाया गया।कवरेज इण्डिया के पास वहां से खबर आई कि स्थानीय लोगों ने शंकरघाट पर कोरोना संक्रमित का अंतिम संस्कार कराने का विरोध किया है। प्रशासन ने दूसरी जगह तलाशी पर कहीं बात नहीं बनी। अंत में दो बजे के करीब अचानक फाफामऊ घाट पर अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया गया।

अंतिम संस्कार में परिवार के सिर्फ चार व्यक्ति :
इंजीनियर बीरेंद्र सिंह के अंतिम संस्कार में फाफामऊ घाट पर उनके परिवार के सिर्फ लोगों को ही ले जाया गया। मुखाग्नि देने वाले उनके भतीजे मोहित, नितिन सिंह, दिल्ली से आए बीरेंद्र की पत्नी के भाई अमित और बहनोई राजीव सिंह ही शामिल हुए। इसके अलावा प्रशासन की ओर से एडीएम नजूल, कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. ऋषि सहाय, स्वास्थ्य विभाग की कोविड टीम और कुछ पुलिस कर्मी शामिल थे। विरोध की आशंका में फाफामऊ घाट पर अतिरिक्त पुलिस बल भी लगाया गया था। शाम करीब सवा चार बजे अंतिम संस्कार के बाद लोगों को क्वारंटीन सेंटर पहुंचाया गया। 

शंकर घाट ही नहीं रसूलाबाद में भी विरोध :
शंकरघाट पर ही नहीं रसूलाबाद घाट पर कोरोना संक्रमित का अंतिम संस्कार करने का स्थानीय लोगों ने विरोध किया। शंकरघाट पर पार्षद की अगुवाई में लोगों ने तर्क किया कि विद्युत शवदाह गृह की चिमनी नीची होने के कारण वायरस से संक्रमण का फैलाव बस्ती में हो सकता है। लोगों ने नारेबाजी भी की और पुलिस के समझाने पर भी नहीं माने।

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