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कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
उत्तर प्रदेश। उन्नाव गैंगरेप का मामला बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। इस मामले को योगी सरकार ने एसआईटी को जांच सौंपी है। साथ ही उन्नाव के डीएम ने इस मामले पर एक बड़ा बयान दिया है। डीएम ने माखी पुलिस को कटघरे में खड़ा करते हुए सख्त लहजे में कहा कि अगर पुलिस ने शुरू से गंभीरता दिखाती तो मामला इतना न बढ़ता।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की, ऐसा नहीं होना चाहिए था। जिन लोगों की शिकायत पीड़ित की ओर से की जा रही थी उन पर भी रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए थी। इसके साथ ही दोनों पक्षों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना चाहिए था। डीएम ने पोस्टमार्टम हाउस में माखी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई।
सवाल पूछा, जिन लोगों पर आरोप था उन पर रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं की गई। डीएम ने सवाल पूछा कि रिपोर्ट दर्ज करने में दिक्कत क्या थी। इसकी जानकारी उन्हें और एसपी को क्यों नहीं दी गई। पहले रिपोर्ट दर्ज कर ली जानी थी फिर विवेचना में हकीकत साफ हो जाती। डीएम ने कहा कि वफादारी निभाने के चक्कर में सभी की फजीहत करा दी।
एसपी ने कहा कि घायल को जिला अस्पताल में भर्ती कराए जाने की जानकारी जेल प्रशासन की ओर से उन्हें नहीं दी गई। जेल प्रशासन की ओर से इस बात की जानकारी दी गई होती तो उपचार अच्छी तरीके से कराया जा सकता था। जरूरत पड़ती तो उसे कानपुर ले जाया जाता। जेल अफसरों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ से शहर पहुंची फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम भी पोस्टमार्टम के पैनल में शामिल की गई है। पैनल में डॉ. तन्मय कक्कड़, डॉ. डीपी सरोज, आरके चौरसिया और उन्नाव के फॉरेंसिक एक्सपर्ट आशुतोष बकखड़े शामिल किए गए है।
