ज़िले के ज्यादातर तालाबों में एक बूंद भी पानी नहीं


रिपोर्टर- बाल गोविन्द वर्मा,सिरौलीगौसपुर, बाराबंकी।
तहसील क्षेत्र सिरौलीगौसपुर ही नही बल्कि जनपद बाराबंकी के अनेकों गाँवों में सरकार द्वारा जल संग्रहण हेतु जलाशयों का निर्माण कार्य बड़े मानक पर कराया तो गया, परंतु इन नवनिर्मित जलाशयों की माली हालत बहुत ही खराब बनी हुई है। अभी गर्मी की अच्छी तरह से शुरुआत भी नहीं हुई है, और यह जलाशय पूरी तरह से जलहीन हो चुके हैं। सोंचने का विषय यह है कि क्या इन जलाशयों का निर्माण सही व निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं कराया गया ? या फ़िर सरकारी प्रशासन के साथ-साथ ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव, जेई व खंडविकास अधिकारी आदि ने मिलकर सिर्फ सरकारी धन का बंदरबांट ही किया है।
     
कोई भी ऐसी ग्राम पंचायत नही है जहाँ पर जलाशय सूख न गये हों अगर किसी ग्राम पंचायत में कोई जलाशय पानी युक्त बड़ी मुश्किल से मिल भी जाता है तो वह अपवाद की तरह लगता है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जल संग्रहण करने के उद्देश्य से इन जलाशयों का निर्माण कार्य करोंड़ो रुपये खर्च करके करवाया गया। इन तालाबों का उपयोग जलीय जीवों व स्थलीय जीवधारी पशुओं द्वारा अपनी प्यास बुझाने हेतु किया जाता रहा है लेकिन अब इन जीवधारियों का क्या होगा ? यह चिंता का विषय बना हुआ है।
         इन जलाशयों के निर्माण में सरकारी रुपयों की बंदरबाँट तो हो जाती है लेकिन जिस उद्देश्य को लेकर इनका निर्माण कार्य करवाया गया, क्या वह पूर्ण हो रहा है ? शायद नहीं। इसके अलावा एक ओर सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा दे रही है, तो वहीं दूसरी ओर मछली पालन करना तो सपना देखने जैसा है, क्योंकि जब जलाशयों में जल ही नही है तो फिर यह सपने देखने जैसा है ही।
        भयंकर गर्मी के दिनों में कैसे प्यास बुझाएंगे जलीय व स्थलीय जीव जबकि गर्मी शुरू होने के पहले ही यह जलाशय खेल के मैदानों में तब्दील हो चुके हैं, जहाँ सुबह शाम बच्चे खेल खेलते नज़र आते हैं।
       ज़िले की कई ईकाइयों द्वारा चाहे ग्राम पंचायत हो या फिर जिला पंचायत के माध्यम से जेसीबी मशीन व मनरेगा योजना के तहत मजदूरों से खुदवाये गए सभी जलाशयों का यही हाल है।

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