कीर्ति सिन्धु की रचना करके 'प्रेमदास' का अमर हो गया प्रेम


रिपोर्टर- बाल गोविन्द वर्मा।सिरौलीगौसपुर, बाराबंकी।
तहसील क्षेत्र सिरौलीगौसपुर स्थित साहेब जगजीवनदास की कर्मस्थली तपोभूमि श्रीकोटवाधाम में साहेब समर्थ सत्यनाम के नाम पर विगत सैकड़ों वर्षों से उनके मानने वाले श्रद्धालु भक्त मंगलवार के दिन आज भी बाबा की समाधि स्थल पर प्रसाद चढ़ाने व अपने जीवन में शांति संतोष प्राप्त करने हेतु आते रहते हैं। साहेब जगजीवनदास की कीर्ति सिर्फ़ बाराबंकी ही नही, बल्कि समूचे उत्तर प्रदेश के कोने-कोने तक फ़ैली हुई है।
     
कोटवाधाम निवासी साहेब के सच्चे अर्थों में भक्त कहे जाने वाले व पेशे से अध्यापक मा०प्रेमदास उर्फ़ प्रेम वर्मा ने बाबा की लीलाओं का यशोगान करने व उनकी कीर्ति पताका को चतुर्दिक फ़ैलाने के साथ ही आने वाली पीढ़ियों को बाबा में आस्था रखने हेतु *कीर्ति सिन्धु* नामक ग्रंथ की रचना कर अपने नाम के अनुरूप बाबा के प्रति अपने प्रेम को भी अमर किया है। उन्होंने बताया कि इस ग्रंथ की रचना काफी परिश्रम करने के बाद हुई है और इसमें साहेब की लीलाओं का वर्णन दोहा, छंद व चौपाई आदि के माध्यम से किया गया है।
     
उन्होंने बताया कि इसके सफ़ल प्रकाशन के लिए उनके साथी मित्रों का भी काफी सहयोग रहा है। क्षेत्रवासियों के अनुसार मा०प्रेम वर्मा द्वारा साहेब के प्रति ऐसी रचना किया जाना उनके अमर प्रेम का प्रतीक है। उनके सहयोगी शिष्य शेषपुर टुटरू निवासी अरविंद सिंह ने बताया कि गुरुजी द्वारा ऐतिहासिक रूप से एक अमूल्य धरोहर की रचना की गयी है जो युगों युगों तक उनके नाम को आगे बढ़ाती रहेगी।

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