क़त्ल भी किया और कार्यवाही भी मांग रहे हैं, लगता है पुरानी सरकारों के नियम अब भी चलाना चाहते हैं !


कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
कासगंज में जहा एक परिवार का जवान बेटा सदा सदा के लिए दुनिया को छोड़ कर चला गया वहीँ उसके परिवार की मदद करने के बजाय इस मुद्दे पर सीधे सीधे राजनीति शुरु हो चुकी है और हालात इतने बदतर बनाए जा रहे है की कत्ल करने वालों के परिवार और उनके रिश्तेदार चन्दन की मौत पर शोक मनाने के बजाय न जाने किस आधार पर हिन्दू समाज के खिलाफ कार्यवाही भी मांग रहे हैं . ये सोच उन पिछली सरकारों की देन है जिन्होंने उन्हें शायद सब कुछ करने की छूट दे रखी थी , अफ़सोस की बात ये है कि योगी आदित्यनाथ के शासन में उन्हें कानून का राज रास नहीं आ रहा है .

इस मामले में ध्यान देने वाला पहलू ये है की हिंसा के बाद जिस पुलिस प्रशासन ने दिन रात एक कर के हालात काबू में करने की पूरी कोशिश की है अब वही पुलिस मज़हबी कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गयी है . पहले शांति से निकल रही तिरंगा यात्रा के शांतिपूर्ण लोगों पर झूठे आरोप लगाने वालों के निशाने पर अब पुलिस आ चुकी है जिस पर वो एकतरफा कार्यवाही का आरोप लगा रहे हैं .

विदित हो कि पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी में जहाँ कासगंज के कई मकानों से बम . पिस्टल आदि बरामद हो रहे हैं वहीँ इस सर्च आपरेशन से भयभीत कुछ साजिशकर्ताओं ने पुलिस की कार्यवाही से बचने के लिए नया हथकंडा अपना लिया है जिसके तहत उन्होंने पुलिस पर ही हिन्दू मुस्लिम भेदभाव का आरोप लगा दिया है . स्थानीय पुलिस का कहाँ है की कार्यवाही पूरी तरह से न्यायसंगत और कानून के नियमों के अंतर्गत हो रही है और पुलिस किसी भी दोषी को नही बख्सेगी . प्रशासन ने दावा किया है कि फ़िलहाल इस शहर में हालात काबू में हैं। पुलिस ने अभी तक 100 अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.

दंगाइयो का समर्थको ने इस मुद्दे पर एक बेहद अजीब तर्क दिया है . उन्होंने हिंदुस्तान के ही अन्दर हिन्दू क्षेत्र और मुसलमान क्षेत्र की बात की है . उनका कहना है कि उनके इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है जबकि भारत को सिर्फ भारत की नजर से देखा जाता है न की हिन्दू इलाका या मुसलमान इलाका. ऐसे बयान उनके बेहद ही गम्भीर भारत विरोधी सोच को दिखाते हैं . मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कासगंज मुद्दे पर जीडीपी और चीफ सेक्रेटरी की बैठक तलब की है और इस आशंका का इज़हार किया जा रहा है कि इस हिंसा में लिप्त लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है।

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