नई दिल्ली। दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा आयोजित तिहाड़ जेल मे भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमे भारतीय साहित्य उत्थान समिति के कविओ ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।
पत्रकारों के साथ बातचीत मे राष्ट्रीय कवि बेबाक जौनपुरी जी ने बताया कि मंच के सामने लगभग 2200 सौ वे श्रोता जो फिलहाल तिहाड़ में विभिन्न अपराधिक मामलो में कैद है! सामने मंच पर जेल अधीक्षक श्री सुभाष चंद्र जी के साथ देश के प्रतिष्ठित कवि /कवियित्री जिसमें प्रमुख रूप से कवि गजेन्द्र सोलंकी,
गीतकार पंकज शर्मा, प्रीति तिवारी अमिता, अमित शर्मा, अभिराज पाठक, फिल्म नेत्री सोनम छाबड़ा तथा संचालक कवि मनीष मधुकर जी थे
मन में एक भाव था कि कैदी कविता सुनेगे? समझेगे?
लेकिन तिहाड़ के अंदर प्रविष्ट होते ही हमारे सभी भ्रम टूट गए! इतने अनुशासाशित कैदियों की कल्पना मैने तो कम से कम नही की थी! अंदर का वातावरण इतना मनोहारी प्राकृतिक था, कि माने वह स्थान जेल न होकर अब कोई सुधार आश्रम नजर आने लगा!
जेल अधीक्षक ने सभी कवियो को लेकर पूरे वार्ड 1 का भ्रमण कराया... अदभुत रूप से पाया कि अंदर विधिवत कक्षाएं विभिन्न विषयों की चल रही है, कैदी पढ़ा रहे है, कैदी ही पढ़ रहे है! अनपढो़ के लिए अलग कक्षा ,पढ़े लिखे कैदियों के लिए (ई बिजनेस ) कक्षाएं धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलते कैदी शिक्षक... ड्राइंग कक्षा, संगीत कक्षा!
एक दिव्यांग कैदी व्हीलचेयर पर बैठ मौहम्मद रफी की आवाज में इस तरह सुर छेड़े हुये थे, आंख बंद कर सुनने पर यही आभाष हो कि स्वयं रफी साहब गा रहे हो!
ज्ञात हुआ यह दोनो पैरो से लाचार कैदी बलात्कार का दोषी है! जो स्वयं खड़ा नही हो सकता क्या वह बल पूर्वक किसी का शील हरण कर सकता है? यह केवल भारत में हो सकता है!
सभी कविओ ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सभी कैदियों को ओतप्रोत कर दिया व सामान्य जीवन की सीख भी दी
