अटकलें हैं कि राहुल गांधी अपने चचेरे भाई और भाजपा सांसद वरुण गांधी का कांग्रेस में स्वागत कर सकते हैं। आगरा के एक स्थानीय नेता का मानना है कि वरुण गांधी को जो जगह मिलनी चाहिए वह जगह उन्हें भाजपा में नहीं मिल रही है। राज्य में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर वरुण गांधी सबसे ज्यादा लायक थे लेकिन पार्टी द्वारा उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया।
मुस्लिम नेता हाजी जमीलुद्दीन का कहना है कि भाजपा में वरुण को नजरअंदाज किया गया है, बीजेपी में पीएम मोदी के अलावा और किसी को अपनी बात कहने का हक नहीं है। फिर भी वरुण ने लगातार अपनी बात को रखा है। उन्होंने कहा कि भाजपा की कई समर्थकों ने यूपी सीएम के लिए वरुण का नाम आगे करने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
लगातार पार्टी से साइडलाइन हो रहे वरुण गांधी स्वर्गीय संजय गांधी के बेटे हैं। यह भी एक सच है कि वरुण गांधी हो या फिर राहुल गांधी, दोनों की तरफ से कभी खुले तौर पर एक दूसरे के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं हुई है। यही कारण है कि इन संकेतों को तवज्जो मिल रही है। अगर ऐसा होता है तो गांधी परिवार करीब 35 साल बाद फिर एक साथ होगा।
