कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
इलाहाबाद। रेल मंत्रालय एक नवंबर को नया टाइम टेबल जारी करेगा। नए टाइम टेबल में कई ट्रेनों को सुपरफास्ट कैटेगरी में डालने से लेकर ट्रेनों के यात्रा का समय कम करने जैसे बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। लेकिन क्या ट्रेनें नए टाइमटेबल का पालन कर पाएंगी, इसकी उम्मीद कम है क्योंकि रेलवे की हमसफर, तेजस और महामना जैसी प्रीमियम ट्रेनें टाइम टेबल से काफी देरी से चल रही हैं।
अगर आप अगले महीने ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं तो घर से निकलने से पहले नए टाइमटेबल के मुताबिक ट्रेन का समय जरूर देख लें। एक नवंबर को जारी होने वाले नए टाइमटेबल में कई बदलाव किए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक नए टाइमटेबल में करीब 50 ट्रेनों को सुपरफास्ट श्रेणी में डाला जाएगा और यात्रा समय को 1-5 घंटे तक कम किया जाएगा। लंबी दूरी की 500 ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जाएगी। चरणबद्ध तरीके से ट्रेनों का मेंटेनेंस समय भी घटाया जाएगा।
50 ट्रेनों को सुपरफास्ट बनाकर रेल मंत्रालय हर साल करीब 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई कर लेगा। रेलवे में सुपरफास्ट ट्रेन का दर्जा उन ट्रेनों को दिया जाता है जिनकी एवरेज स्पीड 55 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा होती है।
रेलवे को नए टाइम टेबल के मुताबिक ट्रेनें चलाने में कितनी सफलता मिलेगी, इसका अंदाजा आप रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों की लेटलतीफी देख कर लगा सकते हैं। आनंद विहार और गोरखपुर के बीच चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस पिछले तीन महीने में 50 बार सफर के दौरान 46 बार 1-5 घंटे की देरी से सफर पूरा किया। नई दिल्ली से बनारस तक चलने वाली महामना एक्सप्रेस ने पिछले एक महीने में 26 बार अप डाउन किया है। इसमें से 23 बार ये ट्रेन 3-4 घंटे लेट रही। लोकमान्य तिलक से टाटानगर के बीच चलने वाली अंत्योदय एक्सप्रेस पिछले एक महीने में 17 सफर में से 15 बार 2-3 घंटे लेट रही।
आपको बता दें कि प्रीमियम ट्रेनों में किराया दूसरी ट्रेनों के मुकाबले 15-20 फीसदी तक ज्यादा होता है। इन ट्रेनों में सफर करने के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ती है। लेकिन समय पर पहुंचने की गारंटी नहीं होती, ऐसे में साफ है कि ट्रेनों को कागज पर सुपरफास्ट बना देने से यात्रियों का कुछ भला नहीं होने वाला।
