कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
बंगाल। बचपन में जिसे नकार दिया गया था, उसने आज ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि जानने पर आप भी उसे सलाम करेंगे. हम बात कर रहे हैं देश की पहली ट्रांसजेंडर जज जोयिता मंडल की. ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक उम्दा नज़ीर बनकर उभरी हैं 29 साल की जोयिता मंडल. उन्हें इस साल 8 जुलाई, 2017 को पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर जिले के दिनाजपुर लोक अदालत में जज नियुक्त किया गया है.
मुश्किलों भरा बचपन
इस मुकाम को पाने के लिए जोयिता को बचपन से ही काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें डांटते थे. स्कूल में उन पर फब्तियां कसी जाती थीं. मजबूरन उन्हें पहले स्कूल छोड़ना पड़ा था, फिर 2009 में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया. जब नौकरी के लिए कॉल सेंटर ज्वाइन किया, वहां भी उनका मजाक बनाया जाने लगा.
भीख मांगकर गुजारा
इनको कई बार भीख मांगकर गुजारा करना पड़ा. कहीं पर कोई किराये पर कमरा देने के लिए तैयार नहीं होता था. ऐसे में उन्हें कई बार खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ी. बाद में जोयिता एक सामाजिक संस्था से जुड़ गईं और सोशल वर्क को अपने जीवन का आधार बना लिया. 2010 से वह सोशल वर्कर के रूप में काम कर रही हैं.
जज के रूप में हुई नियुक्ति
29 साल की जोयिता की लंबी लड़ाई का सुखद अंत हुआ, जब उत्तर दिनाजपुर की सब डिविजनल लीगल सर्विसेज कमेटी ऑफ इस्लामपुर ने लोक अदालत के जज के रूप में उन्हें नियुक्त किया. लोक अदालत में नियुक्ति के फैसले से जोयिता काफी खुश हैं. उन्होंने कहा देश में काफी ट्रांसजेंडर्स ऐसी हैं, जिन्हें अगर मौका मिले तो काफी बेहतर कर सकती हैं.
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