रिपोर्टर- बाल गोविन्द वर्मा। सिरौलीगौसपुर, बाराबंकी।
जनपद बाराबंकी में एक ब्लॉक प्रमुख ऐसी भी हैं जो प्रमुंख होते हुए ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही हैं। मकान कच्चा होने के साथ ही गिरती हुईं मिट्टी की दीवालें व घास-फूस से बने छप्पर के ऊपर बरसात का पानी रोकने के लिए लगाया गया तिरपाल ही इनके घर की मुख्य पहचान है।
ब्लॉक सिरौलीगौसपुर की ब्लॉक प्रमुख रामावती एक सीधी-साधी गरीब महिला हैं, जो अपने परिवार सहित कच्चे मकान में रह रहीं हैं। उनके परिवार में पति कमलेश के साथ ही चार पुत्र व एक पुत्री है। गऱीबी का सितम तो गज़ब ढा ही रहा है, साथ ही बरसात का महीना भी रात-दिन उन्हें डरा रहा है। उनका कहना है कि जब-जब बरसात शुरू होती है, तब-तब बहुत डर लगता है कि कहीं ऐसा न हो कि छप्पर या फिर घर की कच्ची दीवाल गिर न पड़े और कोई अनहोनी हो जाये। उनका कहना है कि ब्लॉक स्तर पर ग्रामीणों व पात्रों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाकर समाज के साथ लाना है। खुले में शौच मुक्त करने के लिए शौचालयों का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है, जबकि हक़ीक़त यह है कि इन सभी सुविधाओं से मैं खुद वंचित हूँ। मेरी हालत तो ऐसी है कि मैं अपने लिए न तो किसी से कह सकती हूँ और न ही स्वयं कुछ कर सकती हूँ।
रामावती का कहना है कि क्या ब्लॉक प्रमुख होना मेरी सजा है, या फिर कोई अपराध। क्या सरकार पात्र होते हुए भी जनप्रतिनिधियों को कोई भी सुविधा नहीं देती ? उनका कहना है कि पिछले डेढ़ साल में अर्थात जब से मैं प्रमुंख हुई हूँ, तब से लेकर आज तक कोई भी कार्य क्षेत्र पंचायत द्वारा नही कराया गया है। जबकि क्षेत्र पंचायत सदस्यों द्वारा मुझसे बार-बार कार्यों के करवाये जाने को लेकर सवाल-जवाब किये जा रहे हैं। अब ऐसे में भला मैं उन लोगों को क्या जवाब दूँ ?