'नाम बड़े और दर्शन छोटे' गलत खबर छापने पर दैनिक जागरण के एडीटर को लीगल नोटिस


सुरजीत यादव।
गोरखपुर. एक बार फिर दैनिक जागरण EDITOR द्वारा बिना जांचे परखे खबर प्रकाशित करने का मामला सामने आया है। पिछले दिनों गोरखपुर से युवा जुझारू पत्रकार रंजीत यादव ने एक देह व्यापार को लेकर खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। उस प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर काफी तादात में लोगों ने शेयर भी किया था। जनहित के इस मुद्दे को पत्रकार न्यूज़ पत्रिका के संपादक रंजीत यादव ने बड़ी गंभीरता से उठाया था।

मामला सही होने की वजह से गोरखपुर पुलिस ने भी संज्ञान लिया। मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पीएमओ तक यह खबर पहुंची थी, लेकिन कुछ जो लोग इस तरह की गतिविधियों में शामिल थे उन्होंने ने ही दैनिक जागरण के EDITOR और पत्रकारों से मिलकर जुझारू पत्रकार को ही ब्लैकमेलर बताकर खबर छाप दी।
EDITOR साहब क्या देह व्यापार की खबरों को उठाना ब्लैकमेलिंग है। जिस अखबार को केंद्र सरकार ने पेड न्यूज का धंधा करने के आरोप में ब्लैक लिस्टेड कर दिया हो, वह अखबार एक युवा पत्रकार को ब्लैकमेलर घोषित कर रहा है। वह भी बिना खबरों की सत्यता को जाने हुए।
युवा पत्रकार व पत्रकार पत्रिका के EDITOR  रंजीत यादव ने दैनिक जागरण द्वारा ब्लैकमेलर लिखे जाने को लेकर नोटिस भेजा है।

रंजीत यादव लिखते हैं कि ”मेंरे मन मे उठे सवालों को भी आप जानिए…
( 1 ) दैनिक जागरण अखबार लिखता है कि सोशल मीडिया देह व्यापार से जुड़ा हुआ प्रकरण कई दिनों से चल रहा था। ऐसे में सवाल ये उठता है कि खबर न छापने का काम किसने किया। पैसे लेकर या सुविधा लेकर यह बात तो नहीं की जा सकती, लेकिन खबर दैनिक जागरण ने क्यों नहीं प्रकाशित की। क्या समाज को जागरुक करने की खबर सोशल मीडिया पर चल रही है तो ब्लैकमेलर है, दैनिक जागरण नहीं छाप रहा है तो वह ब्लैकमेलर नहीं है। ऐसे क्यों ?

( 2) दैनिक जागरण अखबार ने लिखा है कि वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया गया, जबकि वीडियो सोशल मीडिया में डाली ही नहीं गई, तो आपने कहां से वीडियो का जिक्र किया, अगर वीडियो डाली गई तो कब, कहां किसने देखा। इसका सबूत भी देना चाहिए। आपने सोशल मीडिया नेटवर्क की लिंक का जिक्र क्यों नहीं किया। उसी आधार पर ब्लैकमेलर होने की बात करनी चाहिए थी।

(3) ख़बर में लिखा गया है कि होटल के कर्मचारी ने बताया कि उन्होंने हमें ब्लैकमेल किया। दैनिक जागरण से एक अपराधी कहता है कि वीडियो बनाने वाले ने हमें ब्लैकमेल किया, तो आपने जरूर ब्लैकमेल करने वाले के खिलाफ पुख्ता सबूत लिए होंगे, फिर आपने उन सबूतों का जिक्र अपने ख़बर में क्यों नही किया।

(4) दैनिक जागरण अखबार ने निर्णय कर दिया की ब्लैकमेलर पोस्ट डालने वाला ही है, तब भी दैनिक जागरण ने पत्रकार न्यूज़ मैग्जीन के EDITOR का पक्ष लेना जरूरी नहीं समझा और दैनिक जागरण ने देह व्यापार करने वाले होटल मालिक की की एक पक्षीय ही ख़बर क्यों लिखी। जब कि दैनिक जागरण लिख रहा हैं कि मामला कई दिनों से सोशल मीडिया पर चल रहा है, तब तो दैनिक जागरण सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले पत्रकार न्यूज़ के संपादक से भी विधिवत जानकारी थी, क्यों कि लगातार आप मेरी पोस्ट को वाच कर रहे थे।

क्या है सवाल
मित्रों पुलिस चौकी महज 200 मीटर की दूरी पर है और अखबारों ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर अंगुली उठाई फिर आपके अख़बार के कालम से ये विशेष हिस्सा कैसे छूट गया और जो खबर का हिस्सा ही नहीं बना। मेरे जैसे व्यक्ति ने अपनी जान जोखिम में डाल कर इतना बड़ा रिस्क लेकर, इस शहर के परिवारों के लिए उठाया, फिर आपके अखबार में मेरे लिए स्थान क्यों नही ?

मित्रों ये सब प्लानिंग कर मुझे बदनाम करके होटल मालिकों के हृदय में स्थान बनाने का एक प्रयास था ? हो भी सकता है कि इस संस्थान के ज़िम्मेदारों द्वारा मेरे खिलाफ कोई बड़ा षड्यंत्र रच कर फंसाया या फिर हत्या भी कराई जा सकती है ? जैसा कि प्रतीत होता है। अगर कभी कोई अप्रिय घटना मेरे साथ होती है, तो इसके प्रथम जिम्मेदार दैनिक जागरण होगा। उसके बाद कोई अन्य होगा। इन पूरे प्रकरण के गवाह आप सभी हैं।

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