भारतीय सिनेमा के उदभव एवं विकास पर राष्ट्रीय संगोष्टी


इलाहाबाद। मण्डलायुक्त द्वारा संगोष्ठी का उद्घाटन व्यंजना आर्ट एवं कल्चर सोसायटी के तत्वावधान में भारतीय सिनेमा के उदभव व विकास पर लघु फिल्मों के प्रदर्शन तथा पोस्टर प्रदर्शनी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें सिनेमा शो का उद्घाटन मण्डलायुक्त डाॅ0 आशीष कुमार गोयल के द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रख्यात कला संगीत विषयों पर लेखक, फिल्म समीक्षा निर्माता, निदेशक तथा स्वर्गीय दादा साहब फल्के के पौत्र श्री संद्रशेखर एस0 कुशालकर मुख्य वक्ता थे। द्वीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुये मण्डलायुक्त ने आज के दौर में सिनेमा के महत्व पर प्रकाश डाला तथा सार्थक सिनेमा की आवश्यकताओं को रेखांकित किया। मण्डलायुक्त ने कहा कि सिनेमा एवं मनोरंजन की विधा जरूर है लेकिन पिछले कई दसकों से सिनेमा सामाजिक सारोकार का प्रबल प्रवक्ता भी बना हुआ है। सिनेमा
के माध्यम से समय≤ पर बहुत से सामाजिक प्रश्नों को उठान में कामयाबी मिली है। 70 के दशक में जब सिनेमा मनोरंजन का अकेला माध्यम था उस समय भी अने के सार्थक फिल्मों का निर्माण हुआ तथा देश के प्रभुत्व दर्शक आज तक उन सिनेमा कृतियों को याद रखते हैं तथा देखते भी हैं। आज के दौर में भी इस तरह के सार्थक सिनेमा के निर्माण की जरूरत एक सामाजिक जरूरत है तथा साहित्य के विकास की एक अनिवार्य आवश्यकता भी है। मण्डलायुक्त ने यह भी कहा कि सिनेमा आज के साहित्य की सबसे प्रबल दृश्य विधा है तथा इसके माध्यम से सामाजिक जागरूकता के साकारात्मक संदेशों को प्रबलता के साथ संप्रेषित किया जा सकता है। इस लिये सार्थक सिनेमा मनोरंजन सिनमा के साथ-साथ सिनेमा साहित्य की अनिवार्य आवश्यकता है। आज के दौर में भारतीय सिनेमा के सम्बन्ध में इस तरह की राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन एक प्रसंशनीय कार्य है। इस अवसर पर उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका अनहद लोक के छठवे संस्करण का लोकापर्ण किया।

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