चंद पैसों के लिए बदनाम होती पत्रकारिता


बाल गोविंद वर्मा
समय के साथ ही साथ पत्रकारिता व पत्रकार दोनों बदनाम होने लगे हैं। समाज का दर्पण मानी जाने वाली पत्रकारिता अब चंद लोगों की रखैल बनने को मजबूर हो गयी है क्योंकि आज के समय के कुछ युवा पत्रकारों ने इसको कमाने-खाने का पेशा बना लिया है। यही कारण है कि लोगों का विश्वास भी अब धीरे-धीरे पत्रकारिता से अलग हटकर डगमगाने लगा है। उन्हें अब प्रिंट मीडिया पर भी यकीन नही होता। शायद इसका एकमात्र कारण सिर्फ यह है कि पैसे की चाह में कुछ पत्रकारों द्वारा सही गलत का आंकलन किये बगैर गलत खबरों को छापना है। बिना खबर की प्रामाणिकता के खबर लिखना और उसे प्रिंट मीडिया में छपवाना ऐसे ही कुछ पत्रकारों का पेशा बन गया है जो पैसे की चाह में अंधे हो गए हैं।

        आज बाराबंकी जनपद के तमाम ऐसे पत्रकार है जो चंद पैसों के लिए पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे को बदनाम कर रहे हैं। अभी आज ही एक दो अखबारों में सिरौलीगौसपुर के प्रधानसंघ अध्यक्ष को लेकर गलत खबरें छापी गयीं जो पत्रकारिता के लिहाज से काफ़ी चिंताजनक है। चंद लोगों ने बैठक की जिसमें शायद 8-9 लोग शामिल थे और उन्होंने प्रधानसंघ अध्यक्ष बदलने की ख़बर लगा दी जबकि बैठक में सिर्फ़ एक दो लोग ही मौजूदा समय में प्रधान हैं तथा विकासखंड में कुल प्रधानों की संख्या 73 है। अब ऐसे में बिना किसी भी प्रधान को जानकारी दिये केवल चंद ऐसे लोग जो न तो प्रधान हैं और न ही बीडीसी फिर बैठक करके इस तरह का निर्णय लेने का उनको अधिकार किसने दिया? बात यहीं पर खत्म नही होती है यह ख़बर जनपद के बड़े अख़बारों ने छापी भी है।

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