सानू सिंह चौहान/कवरेज इण्डिया बरेली।
बरेली: बरेली सिटी हॉस्पिटल मल्टी स्पेशलिटी क्रिटीकल केयर ट्रॉमा सेंटर में आज विश्व जल दिवस मनाया गया पानी की एक एक बूंद से जीवन है इसे व्यर्थ न करे हॉस्पिटल की स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स टीम ने बताया की आपके स्वास्थ्य का पानी से सीधा रिश्ता है। पीने के पानी की स्वच्छता के मामले में यदि कोई असावधानी होती है तो कई तरह के रोग शरीर को घेरने में देर नहीं लगाते। डा० इरफान ने बताया कि आज के भागदौड़ भरे जीवन में यदि नियमित स्वच्छ पानी ही पिया जाए, तो कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
क्या करें उपाय
उल्टी, दस्त और हैजे जैसी बीमारियां पानी व खाद्य पदार्थो में बैक्टीरिया और वायरस से फैलती हैं। मानसून के दौरान इस रोग का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने में आता है। इससे बचने का सबसे कारगर उपाय तो यही है कि बाहरी खाद्य सामग्री और दूषित पानी से दूरी बरती जाए। इन दिनों खुले कुओं और जमीनी पानी को भी उबाल कर पीना चाहिए। खाना खाने से पहले हाथ छोना कभी न भूलें। इन दिनों घर में या आसपास पानी इकठ्ठा न होने दें। खाने-पीने के बरतनों की सफाई नियमित करें। रखे हुए साफ बरतनों पर भी बैक्टीरिया का हमला हो सकता है।
यदि किसी व्यक्ति को बार-बार उल्टी व दस्त हो रहे हों, तो हो सकता है कि इसकी वजह पीया गया प्रदूषित पानी हो। कुछ लोगों में इसके कारण अचानक से वजन कम होने की शिकायत भी देखी गई है। ऐसे रोगी के शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसे देखते हुए जरूरी है कि आप उन्हें लगातार नींबू, नमक और चीनी वाला पानी पिलाएं। ओआरएस का घोल देना उपयोगी रहता है। यदि उल्टी-दस्त रुकने का नाम न लें तो डॉक्टर के पास जाने में देर बिल्कुल न करें। चिकित्सकों का कहना है कि बहुधा हैज के मरीजों में चावलों के मांड की तरह शौच होता है। कई मरीजों में उल्टी-दस्त के साथ डीहाइड्रेशन व पेटदर्द की भी शिकायत देखने में आती है।
बहुत बार त्वचा संबंधी रोगों की जड़ में भी दूषित पानी की ही भूमिका होती है। प्रदूषित पानी पीने के कारण त्वचा में कई तरह की एलर्जी या दाग-धब्बे होना कोई बड़ी बात नहीं। इन रोगों से बचाव के लिए सावधानी बरतना ही सबसे कारगर तरीका है। यदि आप सचमुच चाहते हैं कि जलजनित रोगों से आपका परिवार सुरक्षित रहे तो अपने घर में पानी की गुणवत्ता को सुनिश्चित करें।
पानी में घुले रसायन
पानी में विभिन्न प्रकार के रसायन होते हैं, जिनके कारण कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। पानी में मिले हुए कीटनाशक का हमारे शरीर पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। इससे नर्वस सिस्टम तो प्रभावित होता ही है, इसके अलावा कीटनाशक में पाए जाने वाले रसायन के कारण प्रजनन क्षमता तक प्रभावित हो सकती है। भूमिगत संक्रमित जल में लेड की मात्रा भी पाई जाती है। लेड पानी के माध्यम से हमारे शरीर में जाकर जमा हो जाता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों और महिलाओं पर पड़ता है। पीने योग्य पानी में कभी-कभी नाइट्रेट्स भी मिले होते हैं। यह फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशु के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। नाइट्रेट्स मस्तिष्क तक पहुंचने वाले ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देते हैं, जिनके कारण बच्चों में ‘ब्लू बेबी सिंड्रोम’ उत्पन्न हो सकता है। नाइट्रेट्स आंत के कैंसर के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।
सेहत का रखवाला पानी
हमारा शरीर कई तरह की जिम्मेदारियां निभाता है और पानी इस काम में शरीर की मदद करता है। इसीलिए डॉक्टर भी अकसर मशविरा देते हैं कि एक दिन में कम-से-कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए। यदि आप शारीरिक श्रम ज्यादा करते हों तो भी आपको ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए। आपने देखा भी होगा कि खिलाड़ी और ज्यादा शारीरिक श्रम करने वाले ज्यादा-से-ज्यादा मात्रा में पानी पीते नजर आते हैं। सही मात्रा में पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म भी सही तरीके से काम करता है।
आइए जानें कि पानी स्वस्थ रहने में हमारी कैसे-कैसे मदद करता है:
प्रत्येक दिन 8-10 गिलास साफ पानी पीने से शरीर में रहने वाले जहरीले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे शरीर रोगमुक्त रहता है।
शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी रहने से शरीर में चुस्ती और ऊर्जा बनी रहती है। थकान का खास एहसास नहीं होता।
पानी पीने से शरीर में फाइबर की पर्याप्त मात्रा कायम रहती है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियां होने का खतरा कम होता है।
प्रचुर मात्रा में पानी पीने से शरीर में अनावश्यक चर्बी जमा नहीं होती। यदि आप अपने बढ़ते वजन को लेकर परेशान हैं, तो अधिक पानी पीएं।
उचित मात्रा में पानी पीने से शरीर में किसी भी प्रकार की एलर्जी होने की आशंका कम हो जाती है। साथ ही फेफड़े में संक्रमण,
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