
लखनऊ, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मुस्लिम समाज के लोगों को आगाह करते हुए कहा है कि प्रदेश में सपा-कांग्रेस का गठबंधन अगर हुआ भी तो उससे भाजपा को ही फायदा होगा। ऐसे में मुस्लिम सतर्क और सावधान रहें।
मायावती सोमवार को पत्रकारों से बात कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने खासतौर पर सपा-कांग्रेस के गठबंधन पर ध्यान केंद्रित रखा। मायावती ने कहा कि सपा सरकार के मुखिया भली भांति जानते हैं कि उनकी सरकार वापस आने वाली नहीं है। इसलिए वह बार-बार खुद कांग्रेस से गठबंधन की बात कर रहे हैं।
सपा-भाजपा की मिलीभगत
मायावती ने मुस्लिम समाज को सियासी गणित समझाते हुए कहा कि सपा और भाजपा दोनों घनिष्ठ मित्र हैं। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि जब वर्ष 2009 में बसपा की सरकार थी तो प्रदेश में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा के सिर्फ 9 सांसद जीते थे। फिर जब वर्ष 2014 में चुनाव हुए तो सपा सरकार थी और 73 सांसद जीते। उन्होंने कहा कि बसपा ने जरूर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन बसपा के सिद्धांतों और उसूलों से कतई समझौता नहीं किया।
सपा-बसपा बंट चुकी है दो खेमों में
उन्होंने मुस्लिमों को समझाते हुए कहा कि सपा और कांग्रेस में अगर गठबंधन हो भी जाता है तो भी भाजपा को फायदा होगा, सपा को नहीं। उन्होंने कहा कि सपा परिवार में मची कलह और सरकार की नाकामियों से साफ है कि सपा सत्ता में वापस नहीं आने वाली। इसलिए ऐसी पार्टी से गठबंधन किया जा रहा है जिसकी हालत खुद कैसी है यह सब जानते हैं।
मायावती ने कहा कि सपा की कलह से ही उनका खास यादव जाति का वोटर भी दो खेमों में बंट जाएगा। सपा शिवपाल और अखिलेश के दो खेमों में बंट चुकी है। ऐसे में गठबंधन होने पर भी अगर मुस्लिम समाज उन्हें वोट देता है तो इससे भाजपा को फायदा होगा। मुस्लिम समाज अब समझ चुका है कि जो भाजपा को हराने की स्थिति में हो उसे ही वोट देना चाहिए। मुस्लिम समाज में यह अवधारणा अब बैठ चुकी है।
मायावती ने कहा कि सपा की कलह से ही उनका खास यादव जाति का वोटर भी दो खेमों में बंट जाएगा। सपा शिवपाल और अखिलेश के दो खेमों में बंट चुकी है। ऐसे में गठबंधन होने पर भी अगर मुस्लिम समाज उन्हें वोट देता है तो इससे भाजपा को फायदा होगा। मुस्लिम समाज अब समझ चुका है कि जो भाजपा को हराने की स्थिति में हो उसे ही वोट देना चाहिए। मुस्लिम समाज में यह अवधारणा अब बैठ चुकी है।
मुलायम-अखिलेश नहीं धो सकते दंगों के दाग
उन्होंने कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से विरासत में मुख्यमंत्री पद पाने वाले मुख्यमंत्री के शासनकाल में काफी दंगे हुए हैं। मुजफ्फरनगर दंगों का दाग सपा सरकार वैसे ही नहीं मिटा सकती जैसे वर्ष 2002 में हुए दंगों का दाग गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार नहीं मिटा सकती है। सपा शासनकाल में वर्ष 1989 व 1990 में बिजनौर, अलीगढ़, गोण्डा के करनैलगंज और आगरा में हुए दंगों के खूनी दाग मुलायम सिंह के दामन पर लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि बसपा ने विषम परिस्थितियों में भी मुस्लिम समाज की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। उनके कल्याण के लिए बसपा ने जो काम किए थे, उसके लिए एक बुकलेट छपवाई थी, उसे फिर से बांटा जा रहा है। मायावती ने कहा कि दंगों को लेकर कांग्रेस का इतिहास भी खराब है। वर्ष 1980 में मुरादाबाद दंगा, 1987 में मेरठ का हाशिमपुरा व मिलयाना, 1988 में मुजफ्फररनगर और बदायूं दंगों को कौन भुला सकता है। ये सब कांग्रेस के शासनकाल में हुए। सपा इसी तरह मुजफ्फरनगर और दादरी के दागों को नहीं धो सकती।
आय से ज्यादा संपत्ति के केसों से डरा रहे
मायावती ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार सपा को आय से ज्यादा संपत्ति के मामलों में सीबीआई, ईडी और आयकर से डरा रही है। इसलिए जब भाजपा कहेगी तभी गठबंधन होगा। यह आम चर्चा हो गई है। उन्होंने समझाते हुए कहा कि गठबंधन से भाजपा को फायदा इसलिए होगा क्योंकि मुस्लिम मतों विभाजन से भाजपा को ही फायदा होता है। इसलिए मुस्लिम समाज को सोच-समझ कर फैसला करना है और किसी भी तरह के बहकावे में न आने की हिदायत दी।
नोटबंदी से उड़ा मोदी, शाह के चेहरे का नूर
मायावती ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नोटबंदी से बसपा के कार्यकर्ताओं का नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह के चेहरों का नूर उड़ गया है। बसपा का कार्यकर्ता तो छोटा गरीब, मजदूर और मध्यम वर्गीय व्यक्ति है।
गठबंधन की हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ देगी सपा
मायावती ने कहा कि अगर गठबंधन हुआ तो भी सपा अपनी सरकार की नाकामियों आदि का ठीकरा पूरी तरह कांग्रेस पर फोड़ देगी।
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