एक ही अध्याधेश पर लगातार पांचवी बार साइन करने पर नाराज हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी!

एक ही अध्याधेश पर लगातार पांचवी बार साइन करने पर नाराज हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी!

युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की संपत्ति पर उत्तराधिकार या संपत्ति हस्तांतरण के दावों की रक्षा के लिए करीब 50 साल पुराने एक कानून में संशोधन पर अध्यादेश को फिर लागू किया गया है। हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस साल पांचवीं बार शुत्र संपत्ति अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने को लेकर अपनी अप्रसन्नता जाहिर की है।
सूत्रों ने बताया कि अध्यादेश को अपनी स्वीकृति देने से पहले राष्ट्रपति ने इस बात पर अपनी निराशा प्रकट की कि अध्यादेश को पांचवीं बार लागू किया जा रहा है और यह सरकार की गलती है कि वह इस विधेयक को संसद में पारित नहीं कर पाई। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति ने शुत्र संपत्ति अध्यादेश पर हस्ताक्षर राष्ट्रहित और जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के सामने आने वाले पेंडिग मामलों के मद्देनज़र किया है।
शत्रु संपत्ति (संशोधन और वैधीकरण: पांचवां अध्यादेश, 2016 को पहली बार सात जनवरी को लागू किया गया था। अभी से पहले इसे चार बार जारी किया जा चुका है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अध्यादेश को पुन: जारी करने को मंजूरी दी थी। अध्यादेश को फिर से जारी किया गया क्योंकि नोटबंदी के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही में लगातार अवरोध रहने के चलते इससे जुड़े कानून में संशोधन के लिए विधेयक पारित नहीं कराया जा सका। मुखर्जी ने पिछले साल जनवरी में सरकार को सलाह दी थी कि केवल असाधारण परिस्थितियों में ही सरकार को अध्यादेश लाने चाहिए।
अगस्त में यह अध्यादेश चौथी बार राष्ट्रपति के पास पहुंचा लेकिन कैबिनेट ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ था। राष्ट्रपति ने उस वक्त सरकार से कहा था कि वह इस पर इसलिए हस्ताक्षर कर रहे हैं क्योंकि इसमें जनता की भलाई से जुड़ा है लेकिन उन्होंने चेतावनी भी थी कि आगे से कैबिनेट की मंजूरी के बगैर ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए। इसके बाद ही सरकार ने कथित तौर पर कैबिनेट से मंजूरी ली थी।
करीब पांच दशक पुराने शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन के लिए यह पहल की गई है ताकि युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की संपत्ति के उत्तराधिकार या हस्तांतरण के दावों की रक्षा की जा सके। 

क्या होती है शत्रु संपत्ति?
कोई भी ऐसी संपत्ति, जो शत्रु देश या उसके किसी फर्म से संबंधित हो वह शत्रु संपत्ति कहलाती है। पूरे देश भर में एक लाख करोड़ रुपये की कीमत के 16547 शत्रु संपत्तियां हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय शत्रु संपत्ति के संरक्षक (कस्टोडियन) के तौर पर काम करता है। 

कानून में संशोधन की जरूरत क्यों
मेहमूदाबाद के राजा एम ए एम खान ने अपनी संपत्ति पर दावे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस साल 1968 के शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन करने का फैसला किया। 1962 में चीन से लड़ाई के बाद देश में कुछ चीनी नागरिकों की संपत्ति भारत सरकार के पास है। वैसे से ही 1965 और 1971 की पाकिस्तान से युद्घ के बाद पाक नागरिकों की चल और अचल संपत्ति सीधे तौर पर भारत सरकार की कस्टडी में चली गई।

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