
नई दिल्ली सरकार ने डिजीटल पेमेंट को बढ़ावा देने को छोटे कारोबारियों के लिए नया एलान किया है। 2 करोड़ तक के लेनदेन पर छोटे कारोबारियों की अनुमानित आय 16 लाख मानी जाएगी। वहीं अगर ये कारोबारी कैशलेस या डिजीटल में भुगतान लेंगे तो इनकी अनुमानित आय 12 लाख मानी जाएगी। जेटली ने इसका एलान किया है। इसे आसान शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपने कैशलेस कारोबार किया तो आपको कम टैक्स देना होगा।
इससे पहले सोमवार को भी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक नोटिस में कहा कि कानून की धारा 44 एडी के तहत लाभ को कारोबार का आठ प्रतिशत माने जाने की मौजूदा दर को कम कर छह प्रतिशत करने का निर्णय किया गया है। यह 2016-17 के लिए बैंक चैनल (डिजिटल माध्यमों ) से प्राप्त कुल कारोबार या सकल प्राप्ति की राशि के संदर्भ में लागू होगा।
कर विभाग ने यह भी कहा है कि कानून की धारा 44एडी के तहत उस स्थिति में जबकि कुल कारोबार या सकल प्राप्ति नकद में हासिल की जाती है तो कर लगाने के लिए लाभ को आठ प्रतिशत ही माना जाएगा। सरकार ने ताजा फैसला अर्थव्यवस्था में डिजिटल माध्यमों से भुगतान स्वीकार करने वाले छाटे कारोबारियों और कंपनियों को प्रोत्साहन देने के मकसद से किया गया है।
राहत
2 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाले व्यापारियों को फायदा
8% लाभ मानकर टैक्स का आकलन करने का है मौजूदा नियम
6% लाभ मानकर टैक्स का आकलन होगा नए नियम के लागू होने पर
8% लाभ मानकर टैक्स का आकलन करने का है मौजूदा नियम
6% लाभ मानकर टैक्स का आकलन होगा नए नियम के लागू होने पर
यह लाभ भी होगा
वर्तमान में आठ फीसदी से कम लाभ दिखाने पर व्यापारियों को खाता-बही का चाटर्ड अकाउंटेट से ऑडिट करवाना पड़ता है।
व्यापारियों को चाटर्ड अकाउंटेट को इसके लिए मोटी फीस चुकानी पड़ती है।
ऑडिट के बाद भी व्यापारियों को आयकर विभाग की कई तरह की जांज-पड़ताल का सामना करना पड़ता है।
आयकर कानून, 1961 की धारा 44एडी के तहत छोटे कारोबारियों को आठ फीसदी मानक करारोपण की स्थिति में ऑडिट कराने की जरूरत नहीं।
व्यापारियों को चाटर्ड अकाउंटेट को इसके लिए मोटी फीस चुकानी पड़ती है।
ऑडिट के बाद भी व्यापारियों को आयकर विभाग की कई तरह की जांज-पड़ताल का सामना करना पड़ता है।
आयकर कानून, 1961 की धारा 44एडी के तहत छोटे कारोबारियों को आठ फीसदी मानक करारोपण की स्थिति में ऑडिट कराने की जरूरत नहीं।
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