नई दिल्ली, आज संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है। नोटबंदी, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकाप्टर घोटाला, किरन रिजिजू और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी रहने के कारण पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया है। आज भी लोकसभा में हंगामे के चलते कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।
नोटबंदी के फैसले ने संसद के इस सत्र को हंगामे की भेंट चढ़ा दिया। अब तक हालत ये रही कि हंगामे की वजह से इस सत्र में जरूरी काम बहुत कम हुआ है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, 16 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच लोकसभा में 15% तो राज्यसभा में 17% ही काम हो सका है। मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के दौरान संसद में सबसे कम काम हुआ।
नोटबंदी पर हंगामा
संसद के शीतकालीन सत्र में पहले नोटबंदी को लेकर हर दिन हंगामा होता रहा। विपक्ष की मांग थी कि पीएम की मौजूदगी में सदन में नोटबंदी पर चर्चा हो। कांग्रेस ने वोटिंग के तहत सदन में चर्चा की मांग की, जबकि सरकार इस पर राजी नहीं हुई। बाद में पीएम कई मौकों पर सदन में मौजूद रहे, लेकिन हंगामा नहीं थमा। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर चर्चा नहीं करने का आरोप लगाते रहे। बता दें कि शीतकालीन सत्र के शुरू होने से करीब एक सप्ताह पहले ही प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का एलान किया था, जिसके बाद सरकार सदन में विपक्ष के निशाने पर रही।
संसद के शीतकालीन सत्र में पहले नोटबंदी को लेकर हर दिन हंगामा होता रहा। विपक्ष की मांग थी कि पीएम की मौजूदगी में सदन में नोटबंदी पर चर्चा हो। कांग्रेस ने वोटिंग के तहत सदन में चर्चा की मांग की, जबकि सरकार इस पर राजी नहीं हुई। बाद में पीएम कई मौकों पर सदन में मौजूद रहे, लेकिन हंगामा नहीं थमा। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर चर्चा नहीं करने का आरोप लगाते रहे। बता दें कि शीतकालीन सत्र के शुरू होने से करीब एक सप्ताह पहले ही प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का एलान किया था, जिसके बाद सरकार सदन में विपक्ष के निशाने पर रही।
किरेन रिजिजू पर कथित भ्रष्टाचार का आरोप
नोटबंदी के बाद संसद में किरेन रिजिजू का मुद्दा भी छाया रहा। मामले में कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का इस्तीफा मांगा। कांग्रेस ने इस मामले में एक ऑडियो भी जारी किया था। बता दें कि किरेन रिजिजू पर अरुणाचल हाइड्रो प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगा है।
मोदी शासन के दौरान इस सत्र में कम काम
मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के दौरान संसद के 8 सत्र हुए हैं। इससे पहले इस साल के मानसून सेशन-2015 में लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 48% रही थी। मानसून सेशन-2015 में ही राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी सबसे कम 9% रही थी। हालांकि, इस सेशन में दोनों सदनों की औसत प्रोडक्टविटी 28.5% रही थी।
सिर्फ 2 बिल हुए पास
शीतकालीन सत्र में कई जरूरी बिल पेश होने थे। लेकिन हंगामे की वजह से यह संभव नहीं सका और सिर्फ दो बिल ही पास हो सके। इनमें एक टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल था, दूसरा राइट्स ऑफ पर्सन्स डिसेबिलिटी बिल-2014। टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल भी इसलिए पास हुआ, क्योंकि यह फाइनेंस बिल था, जिसे राज्यसभा से पास होना जरूरी नहीं था। जबकि 22 बैठकों में 9 बिल पेश होने थे। इनमें जीएसटी पर तीन बिल पास होने थे। एक सेंटर का जीएसटी बिल, दूसरा इंटिग्रेटेड जीएसटी बिल और तीसरा जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई तय करने वाला बिल।
शीतकालीन सत्र में कई जरूरी बिल पेश होने थे। लेकिन हंगामे की वजह से यह संभव नहीं सका और सिर्फ दो बिल ही पास हो सके। इनमें एक टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल था, दूसरा राइट्स ऑफ पर्सन्स डिसेबिलिटी बिल-2014। टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल भी इसलिए पास हुआ, क्योंकि यह फाइनेंस बिल था, जिसे राज्यसभा से पास होना जरूरी नहीं था। जबकि 22 बैठकों में 9 बिल पेश होने थे। इनमें जीएसटी पर तीन बिल पास होने थे। एक सेंटर का जीएसटी बिल, दूसरा इंटिग्रेटेड जीएसटी बिल और तीसरा जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई तय करने वाला बिल।
कुल 9 बिल होने थे पेश
इस सत्र में कुल 9 बिल पेश होने थे। इनमें सरोगेसी (रेग्युलेशन), नेवी ट्रिब्यूनल बिल-2016, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बिल, डिवोर्स अमेंडमेंट बिल-2016 और स्टैटिस्टिक्स एग्रगेशन अमेंडमेंट बिल-2016 भी शामिल थे। सत्र के दौरान दो बिल पर लोकसभा में चर्चा होने के आसार थे, जो राज्यसभा से पास हो चुके हैं। इन बिलों में मेंटल हेल्थ केयर बिल-2016 और मैटरनिटी बेनिफिट्स अमेंडमेंट बिल-2016 शामिल था।
15 नए बिल भी पेश होने की उम्मीद थी।
15 नए बिल भी पेश होने की उम्मीद थी।
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