
विकाश मिश्र/नवाबगंज
इलाहाबाद। नवाबगंज: न आदालत के आदेश की चिंता न हरियाली से मतलब।मतलब है तो सिर्फ जमीन को वीरान कर पर्यावरण को दूषित करके अपनी जेब भरने से ।इसमे व्यापारी से लेकर पुलिस व वन विभाग तक भी मिले हुए है।नतीजा यह है कि जहां बाग,आबाद थी,वही की जमीन वीरान हो गई है।बात हो रही है अवैध रूप से कट रहे हरे पेड़ों की कटान की ।पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने धड़ल्ले से कट रहे हरे वृक्ष की कटान बंद करने का फरमान तो जारी किया. पर जब से इलाहाबाद में डीएफओ मनोज खरे ने चार्ज लिया है तब से सारे नियम कानून ताक पर रखकर अब पैसे लेकर हरे वृक्ष की परमिट जारी कर सूखा घोषित कर दिया जा रहा है ।जिस कारण हरे वृक्षों को काटने के लिए वन विभाग व स्थानीय पुलिस को पैसे देकर धड़ल्ले से पेड़ काटे जा रहे है ।ताजा वाकया नवाबगंज थाना क्षेत्र के शिवलाल का पूरा गाँव का है जहां बोधी पटेल के यहां कट रहे हरे महुए के पड़े की कटाई कर रहे व्यापारी तुलसीराम पुत्र इन्द्रपाल निवासी मेण्डारा ने बताया की हमने इस पेड़ को काटने के लिए वन विभाग में 5000रू देकर परमिट लिया है,साथ ही स्थानीय पुलिस को भी पैसा देना पड़ा तब जाकर हम ये पेड़ कटवा रहे है ।इस संम्बन्ध में जब कवरेज इण्डिया संवाददाता ने नवाबगंज थानाध्यक्ष शिवमंगल सिंह से फोन पर बात की उन्होंने बताया कि हमे इस संम्बंन्ध मे कोई जानकारी नही है अगर हरे वृक्ष की कटाई की जा रही है तो उचित कार्रवाई होगी पर समाचार लिखे जाने तक कोई भी कार्यवाही नही हुई है और न ही हरी लकडी को जब्त किया गया है ।
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