लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन यानि कार्तिक माह की षष्ठी को डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया गया। इस महापर्व में छठी मइया के साथ भगवान भास्कर (सूर्यदेव) की आराधना जरूर की जाती है। अब आखिरी दिन सोमवार को यानि कार्तिक माह की सप्तमी को सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य दी जाएगी। आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार सुबह में अर्घ्य देने का शुभ समय 6 बजकर 13 मिनट से शुरू हो रहा है। सुबह के समय गंगाजल के साथ गाय का दूध मिलाकर अर्घ्य देने की परंपरा है।अर्घ्य देते समय इन 4 बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए।
ताम्बे के पात्र में दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
पीतल के पात्र से दूध का अर्घ्य देना चाहिए।
चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के पात्रों से भी अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
पीतल व ताम्बे के पात्रों से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
पीतल के पात्र से दूध का अर्घ्य देना चाहिए।
चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के पात्रों से भी अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
पीतल व ताम्बे के पात्रों से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
12 साल बाद खास संयोग
कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर ग्रह-गोचरों का विशेष संयोग बन रहा है। आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार पहला अर्घ्य रविवार को है। इस दिन चंद्रमा के गोचर में रहने से सूर्य आनंद योग का संयोग बनेगा। यह खास संयोग लगभग 12 वर्षों के बाद बना है। इससे लंबे समय से बीमार चल रहे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर और संतान की प्राप्ति होगी।
महालक्ष्मी की कृपा बरसेगी
आचार्य पीके युग के अनुसार छठ महापर्व पर चंद्रमा और मंगल के एक साथ मकर राशि में रहने से महालक्ष्मी की भी कृपा व्रतियों पर बरसेगी। चंद्रमा से केंद्र में रहकर मंगल के उच्च होने, स्वराशि में होने से रूचक योग षष्ठी-सप्तमी को बनेगा।
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