कवरेज इण्डिया के लिए इलाहाबाद से डा० भगवान प्रसाद उपाध्याय की विशेष रिपोर्ट-
इलाहाबाद वन प्रभाग में डीएफओ मनोज खरे का आगमन क्या हुआ मानो पूरा विभाग ही उनके तानाशाही रवैये की चपेट में आ गया जिस कारण वन प्रभाग इलाहाबाद का माहौल लगातार बिगड़ता जा रहा है।जिसको लेकर कर्मचारियों में मनोज खरे के प्रति आक्रोश फैलता जा रहा है।बतादे कि, डी0एफ0ओ0 इलाहाबाद मनोज कुमार खरे द्वारा विगत पूर्व तीन वर्षों से कर्मचारियों की अवांछित तरीके से गोपनीय प्रविष्टि ख़राब अंकित की जा रही है।वर्ष 2015-16 में भी लगभग 25 कर्मचारियों का अनुचित तरीके से गोपनीय प्रविष्टि ख़राब अंकित की गयी है।इन कर्मचारियों में चार-पाँच विधवा महिलाये भी शामिल है।डीएफओ मनोज खरे द्वारा हाल ही में 5 करोण पौध रोपण, हरित पट्टी व् मनरेगा कार्यो में भी भारी घोटाला किया गया है।जहां पेड़ नहीं लगे हैं वहां भी कागजी वृक्षारोपण दिखाया जाता है,वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के वन कर्मियों की मिली भगत से हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है.जिस कारण अवैध आरामशीनों का भी संचालन अपने चरम पर है.जिसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है करछना थानाक्षेत्र स्थित ग्राम भरहा में जहां धड़ल्ले से अवैध आरामशीन चलाई जा रही है जिसके माध्यम से रोज कई हरे वृक्ष काटे जाते हैं,इसपर स्थानीय पुलिस भी मूक दर्शक बनी रहती है.ग्रामीणों में इस बात की चर्चा है कि उक्त आरामशीन संचालक द्वारा स्थानीय पुलिस व वन विभाग के उच्चाधिकारियों को भी "भेंट" चढ़ाई जाती है.बता दें कि डी0एफ0ओ0 इलाहाबाद मनोज खरे जिनको PFS दर्जा प्राप्त है किंतु अपने रसूख के चलते मनोज खरे किसी दूसरे अधिकारी की नियुक्ति में रोड़ा बन जाते है.इनके द्वारा पूरे प्रभाग में कर्मचारियों पर तानाशाही रवैया चलाया जा रहा है। राजकीय हितो के विपरीत अपनी मंसा के अनुरूप कर्मचारियों से काम लिया जाता और बाद में ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूल किया जाता है।जो कर्मचारी मोटी रकम नहीं देते उनको परेशान किया जाता है और विना किसी पूर्व सूचना, चेतावनी या स्पस्टीकरण के वेतन बाधित करना, गोपनीय प्रविष्टि ख़राब करना, स्थान्तरण एवं तैनाती करना तथा फिल्ड कर्मचारियो से प्रभागीय कार्यालय में संबद्ध और प्रभागीय लिपिकों से छेत्र का काम लिया जाता है.जिससे कार्य प्रभावित होता है।इस प्रकार मनोज खरे द्वारा कर्मचारियों का आर्थिक, मानसिक व् शारीरिक शोषण किया जा रहा है .विदित हो सहायक वन कर्मचारी संघ इलाहाबाद , द्वारा अपने पत्र 6/(संघ) इलाहाबाद दिनांक 25/10/2016 के माध्यम से वन संरक्षक इलाहाबाद वृत्त इलाहाबाद को समस्त कर्मचारियों की ख़राब गोपनीय प्रविष्टि को समाप्त करने का अनुरोध किया गया है।जिसकी प्रति मुख्य वन संरक्षक इलाहाबाद, DM इलाहाबाद, SSP इलाहाबाद, आयुक्त इलाहाबाद, प्रधान प्रमुख वन संरक्षक लखनऊ, प्रमुख सचिव वन, वन मंत्री और मा0 मुख्य मंत्री उ0प्र0 को भी जानकारी व कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए अनुरोध किया है।अवगत कराना है कि सहायक वन कर्मचारी संघ इलाहाबाद के द्वारा डी0एफ0ओ0 के इस रवैये के सम्बन्ध में संघ द्वारा पूर्व में संघ के पत्रांक- 5 /संघ इलाहाबाद दिनांक 15/06/16 द्वारा DFO इलाहबाद से अनुरोध करते हुए PCCF लखनऊ, CCF प्रशासन, CCF इलाहाबाद, CF इलाहबाद एवं महामंत्री उ0प्र0 सहायक वन कर्मचारी लखनऊ को भी अवगत कराया गया है।किन्तु उक्त पत्रो पर किसी के द्वारा कोई विचार नहीं किया जा रहा है। उच्च अधिकारियों की निष्कृयता के कारण मनोज खरे का हौसला लगातार बढ़ता जा रहा है।नाम गुप्त रखने की शर्त पर वन प्रभाग के ही एक कर्मचारी ने "कवरेज इण्डिया" को बताया कि विना किसी पूर्व सूचना, चेतावनी या स्पस्टीकरण के वर्ष 2015-16 में भी कर्मचारियों की गोपनीय प्रविष्टि अक्टूबर माह में ख़राब अंकित कर दी गई है।इतने कर्मचारियों की प्रतिकूल प्रविष्टि किया जाना जहाँ DFO की पर्यवेक्षणीय शिथिलता को सिद्ध करता है, वहीँ उच्च अधिकारियों द्वारा राजकीय कार्यो में उदासीनता एवं लापवाही को दरसाता है।जिला प्रशासन द्वारा इस प्रकरण की जाँच L.I.U.को सौप दी गयी है।लेकिन विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि डीएफओ मनोज खरे द्वारा एलआयू जांच को भी प्रभावित करने का षडयंत्र किया जा रहा है.बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा किकि L.I.U.अपने रिपोर्ट क्या देती है।फिलहाल कवरेज इण्डिया इस पूरे प्रकरण को लेकर पूरी तरह से चौकन्ना है,शीघ्र ही इस प्रकरण में और भी नए खुलासे करेगा
इलाहाबाद वन प्रभाग में डीएफओ मनोज खरे का आगमन क्या हुआ मानो पूरा विभाग ही उनके तानाशाही रवैये की चपेट में आ गया जिस कारण वन प्रभाग इलाहाबाद का माहौल लगातार बिगड़ता जा रहा है।जिसको लेकर कर्मचारियों में मनोज खरे के प्रति आक्रोश फैलता जा रहा है।बतादे कि, डी0एफ0ओ0 इलाहाबाद मनोज कुमार खरे द्वारा विगत पूर्व तीन वर्षों से कर्मचारियों की अवांछित तरीके से गोपनीय प्रविष्टि ख़राब अंकित की जा रही है।वर्ष 2015-16 में भी लगभग 25 कर्मचारियों का अनुचित तरीके से गोपनीय प्रविष्टि ख़राब अंकित की गयी है।इन कर्मचारियों में चार-पाँच विधवा महिलाये भी शामिल है।डीएफओ मनोज खरे द्वारा हाल ही में 5 करोण पौध रोपण, हरित पट्टी व् मनरेगा कार्यो में भी भारी घोटाला किया गया है।जहां पेड़ नहीं लगे हैं वहां भी कागजी वृक्षारोपण दिखाया जाता है,वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के वन कर्मियों की मिली भगत से हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है.जिस कारण अवैध आरामशीनों का भी संचालन अपने चरम पर है.जिसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है करछना थानाक्षेत्र स्थित ग्राम भरहा में जहां धड़ल्ले से अवैध आरामशीन चलाई जा रही है जिसके माध्यम से रोज कई हरे वृक्ष काटे जाते हैं,इसपर स्थानीय पुलिस भी मूक दर्शक बनी रहती है.ग्रामीणों में इस बात की चर्चा है कि उक्त आरामशीन संचालक द्वारा स्थानीय पुलिस व वन विभाग के उच्चाधिकारियों को भी "भेंट" चढ़ाई जाती है.बता दें कि डी0एफ0ओ0 इलाहाबाद मनोज खरे जिनको PFS दर्जा प्राप्त है किंतु अपने रसूख के चलते मनोज खरे किसी दूसरे अधिकारी की नियुक्ति में रोड़ा बन जाते है.इनके द्वारा पूरे प्रभाग में कर्मचारियों पर तानाशाही रवैया चलाया जा रहा है। राजकीय हितो के विपरीत अपनी मंसा के अनुरूप कर्मचारियों से काम लिया जाता और बाद में ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूल किया जाता है।जो कर्मचारी मोटी रकम नहीं देते उनको परेशान किया जाता है और विना किसी पूर्व सूचना, चेतावनी या स्पस्टीकरण के वेतन बाधित करना, गोपनीय प्रविष्टि ख़राब करना, स्थान्तरण एवं तैनाती करना तथा फिल्ड कर्मचारियो से प्रभागीय कार्यालय में संबद्ध और प्रभागीय लिपिकों से छेत्र का काम लिया जाता है.जिससे कार्य प्रभावित होता है।इस प्रकार मनोज खरे द्वारा कर्मचारियों का आर्थिक, मानसिक व् शारीरिक शोषण किया जा रहा है .विदित हो सहायक वन कर्मचारी संघ इलाहाबाद , द्वारा अपने पत्र 6/(संघ) इलाहाबाद दिनांक 25/10/2016 के माध्यम से वन संरक्षक इलाहाबाद वृत्त इलाहाबाद को समस्त कर्मचारियों की ख़राब गोपनीय प्रविष्टि को समाप्त करने का अनुरोध किया गया है।जिसकी प्रति मुख्य वन संरक्षक इलाहाबाद, DM इलाहाबाद, SSP इलाहाबाद, आयुक्त इलाहाबाद, प्रधान प्रमुख वन संरक्षक लखनऊ, प्रमुख सचिव वन, वन मंत्री और मा0 मुख्य मंत्री उ0प्र0 को भी जानकारी व कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए अनुरोध किया है।अवगत कराना है कि सहायक वन कर्मचारी संघ इलाहाबाद के द्वारा डी0एफ0ओ0 के इस रवैये के सम्बन्ध में संघ द्वारा पूर्व में संघ के पत्रांक- 5 /संघ इलाहाबाद दिनांक 15/06/16 द्वारा DFO इलाहबाद से अनुरोध करते हुए PCCF लखनऊ, CCF प्रशासन, CCF इलाहाबाद, CF इलाहबाद एवं महामंत्री उ0प्र0 सहायक वन कर्मचारी लखनऊ को भी अवगत कराया गया है।किन्तु उक्त पत्रो पर किसी के द्वारा कोई विचार नहीं किया जा रहा है। उच्च अधिकारियों की निष्कृयता के कारण मनोज खरे का हौसला लगातार बढ़ता जा रहा है।नाम गुप्त रखने की शर्त पर वन प्रभाग के ही एक कर्मचारी ने "कवरेज इण्डिया" को बताया कि विना किसी पूर्व सूचना, चेतावनी या स्पस्टीकरण के वर्ष 2015-16 में भी कर्मचारियों की गोपनीय प्रविष्टि अक्टूबर माह में ख़राब अंकित कर दी गई है।इतने कर्मचारियों की प्रतिकूल प्रविष्टि किया जाना जहाँ DFO की पर्यवेक्षणीय शिथिलता को सिद्ध करता है, वहीँ उच्च अधिकारियों द्वारा राजकीय कार्यो में उदासीनता एवं लापवाही को दरसाता है।जिला प्रशासन द्वारा इस प्रकरण की जाँच L.I.U.को सौप दी गयी है।लेकिन विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि डीएफओ मनोज खरे द्वारा एलआयू जांच को भी प्रभावित करने का षडयंत्र किया जा रहा है.बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा किकि L.I.U.अपने रिपोर्ट क्या देती है।फिलहाल कवरेज इण्डिया इस पूरे प्रकरण को लेकर पूरी तरह से चौकन्ना है,शीघ्र ही इस प्रकरण में और भी नए खुलासे करेगा
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