बड़ी खबर: उन्नाव गैंगरेप मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निरस्त की सभी आरोपियों की जमानत


कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क इलाहाबाद।
इलाहाबाद. उन्नाव गैंगरेप मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों की जमानत निरस्त कर दिया है। साथ ही सीबीआई से 2 मई सुबह 10 बजे हाईकोर्ट में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने मामले में कुलदीप सेंगर के साथ ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के निर्देश सीबीआई को दिए हैं। न्यायालय ने सीबीआई को 20 जून व अन्य तारीखों पर दर्ज प्राथमिकी की विवेचना करने का निर्देश भी दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस सुनीत कुमार की खंडपीठ ने दिया ।

इसके पहले कल मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ठीक सवा दस बजे बैठी। जजों के सामने निहारते ही अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी व विनोद कांत बोले, प्रकरण पर महाधिवक्ता बहस करेंगे वह अभी पहुंचे नहीं हैं, कुछ वक्त दीजिए। कोर्ट ने दोपहर 12 बजे सुनवाई का समय मुकर्रर किया। घड़ी की दोनों सूइयां मिलते ही कोर्ट फिर आसीन।

घटनाक्रम का सवाल होते ही महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह बोले, 20 जून, 2017 को नाबालिग लड़की की मां ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। इसमें 11 जून को तीन लोगों बृजेश यादव, अवधेश तिवारी व शिवम पर लड़की को बहला फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाया। 21 जून, 2017 को लड़की बरामद हुई। धारा 161 में बयान दर्ज किया पीडि़ता ने नामजद आरोपितों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया।

महाधिवक्ता ने बताया कि 22 और 25 जून को तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इस समय वे जमानत पर हैं जिसके खिलाफ पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। 17 अगस्त, 2017 को पीडि़ता ने मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत की, जिसमें उसने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उसके भाई व अन्य लोगों पर चार जून, 2017 को उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि जब इस मामले में एफआइआर दर्ज हो गई थी, तब पीडि़ता को मुख्यमंत्री से मदद की गुहार क्यों लगानी पड़ी? जवाब मिला कि पुलिस मामले की जांच कर रही थी। वह पूरी होने से पहले ही पीडि़ता ने फरियाद की।

कोर्ट ने पूछा कि लड़की के पिता की मौत किन परिस्थितियों में हुई? जवाब आया कि लड़की ने पिता की मौत से पहले मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्महत्या करने का प्रयास किया। इसके बाद आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई। घटनाक्रम मीडिया में छाने के बाद मुख्यमंत्री ने एसआइटी का गठन किया। 24 घंटे में टीम से रिपोर्ट मांगी। एसआइटी की रिपोर्ट पर डाक्टर, सीओ सहित पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है।

यह सुनते ही कोर्ट ने सामने रखी एसआइटी की रिपोर्ट पलटी और कक्ष में मौजूद एसआइटी के एडीजी राजीव कृष्ण की ओर देखा। कोर्ट ने फिर सवाल किया कि जब एसआइटी जांच के बाद एफआइआर हुई तो आरोपित विधायक की गिरफ्तारी के लिए किन साक्ष्यों का इंतजार हो रहा है? महाधिवक्ता बोले, 11 अप्रैल को एसआइटी की प्रारंभिक रिपोर्ट पर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। विवेचना शुरू होने से पहले ही राज्य सरकार ने घटना की जांच सीबीआइ को सौंपने की संस्तुति केंद्र सरकार से कर दी है।

महाधिवक्ता ने पुलिस की कार्यप्रणाली को संतोषजनक नहीं मानते हुए कहा कि सरकार कार्रवाई करेगी, वहीं आरोपित की गिरफ्तारी के संबंध में उन्होंने साफ कर दिया कि यह विवेचक के विवेक पर ही निर्भर है। इस पर कोर्ट ने तल्ख अंदाज में कहा 'पुलिस की कार्यशैली इतनी लचर है दुष्कर्म मामले के तीनों आरोपी जमानत पर हैं उनकी बेल निरस्त कराने का प्रयास नहीं हुआ। दूसरे मामले में आरोपित विधायक व उनके साथी घूम रहे हैं ऐसे में अब यही कहना पड़ेगा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त है।

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