कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा की सियासी जोड़ी को मात देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए अति पिछड़ों और अति दलितों को आरक्षण देने की घोषणा की है।
सीएम योगी ने गुरुवार को यूपी विधानसभा में कहा कि सरकार इसके लिए कमिटी भी बना रही है। गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र को संबोधित करते हुए अति पिछड़ा अति दलित वर्ग को आरक्षण देने का फैसला किया है।
साफ है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्ड के जरिए सपा-बसपा की बढ़ती नजदीकियों के चलते एकजुट हो रहे दलित-पिछड़ों के वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी की है।
माना जा रहा हैं उपचुनाव में बीजेपी के बिगड़े समीकरण के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित को साधने की कवायद की है।
इससे पहले यूपी के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी कई बार दलितों के आरक्षण को लेकर आवाज उठा चुके है। राजभर ने कई बार कहा कि वो सत्ता के लोभित नहीं है, बल्कि दलित और पिछड़े जाति के लिए आवाज बन रहे है। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या राजभर की नाराजगी भी सीएम योगी को दलितों के याद दिलाई है।
सीएम का पद संभालने के बाद कई साहसिक फैसले लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2017 में निजी मेडिकल कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में आरक्षण कोटे को खत्म कर दिया था। जिसका विरोध भी हुआ था।
वहीं, योगी सरकार के इस फैसले को आरएसएस के आरक्षण विरोधी बयानों से भी जोड़कर देखा जा रहा था। आरक्षण को लेकर विपक्ष बीजेपी के साथ-साथ आरएसएस को घेरता रहा है, इसलिए योगी सरकार का अति पिछड़ों और अति दलितों को आरक्षण देने का फैसला बेहद अहम माना जा रहा है।