कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क बिहार।
सूर्यपुरा प्रखंड मुख्यालय स्तिथ पीएचसी में कभी छह एमबीबीएस चिकित्सक से लैश रहता था, परंतु आज मात्र एक एमबीबीएस चिकित्सक के भरोसे पीएचसी अस्पताल सफर कर रहा है। सूर्यपुरा अस्पताल में न इमरजेंसी सेवा और न ही रात्री सेवा उपलब्ध है। ऐसे समय में प्रसव पीड़ित महिलाओं व गरीब-गुरबे मरीजो को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। यहाँ सरकार द्वारा घोषित 24 घन्टे की स्वास्थ्य सेवा पुरी तरह फेल है। कारण यह है कि फिलहाल पीएचसी में मात्र एक एमबीबीएस व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ० शशिकांत शेखर पदस्थापित है। उसमे भी वह आउटडोर सम्भाले या जिला में होने वाले बैठकों में भाग ले। साथ ही चिकित्सा विहीन पड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सूर्यपुरा खाना पूर्ति के लिए आयुष चिकित्सको के भरोषे संचालित होता है। निर्धारित पद के अनुसार ना चिकित्सक है और न ही स्वास्थ्य कर्मी। कर्मियों व चिकित्सको की सेवा निवृति के बाद पीएचसी में वर्षो से कई पदो की रिक्तिया है। जिसे विभाग द्वारा उन रिक्तियों पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया। जिससे पीएचसी चिकित्सकों व कर्मीयो की कमी का दंश झेल रहा है। अगर वर्त्तमान स्थिति पर नजर डाला जाए तो प्रतिदिन 100 से अधिक रोगियों की जाँच कर दवा दी जाती है। इस संबंध में स्वास्थ्य प्रबंधक शमशाद अहमद ने बताया कि पीएचसी में एक महिला चिकित्सक सहित कुल छह चिकित्सको का पद निर्धारित है। जिसमे महज दो चिकित्सक, एक एमबीबीएस व दूसरे एक आयुष चिकित्सक ही है। नतीजा अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र कोसनंदा पर तैनात आयुष चिकित्सको के द्वारा आउट डोर संचालित हो पाता है। चिकित्सको की कमी के कारण आपात कालीन सेवा पूरी तरह ठप है। वर्तमान स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र में एंटीबायोटिक दवाओ सहित कुल 28 किस्म की दावा उपलब्ध है। जबकि एन्टी रैविज का वैक्सीन एक माह से अधिक दिनों से समाप्त है। अस्पताल में छह बेड, एक्स रे मशीन, प्रसव कक्ष में यन्त्र तो है पर उपयोग ना के बराबर है। वही इस संबंध में पूछे जाने पर सिविल सर्जन रोहतास ने बताया कि सूर्यपुरा पीएचसी की समस्या से पूरी तरह अवगत हूँ। सरकार के द्वारा जिले में नए चिकित्सक का पहल चल रहा है। बहुत जल्द एमबीबीएस डॉक्टर बहाल किया जाएगा ।