इलाहाबाद। श्रद्धा पूर्वक मानया गया शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखेदव व राजगुरू का 87वां शहादत दिवस


कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क इलाहाबाद। 
अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद एवं शहीद-ए-आजम भगत सिंह स्मारक समिति के तत्वावधान आजाद पार्क में शहादत स्थल के निकट श्रद्धापूर्वक मनाया गया। प्रारम्भ में शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरू के तस्वीर पर आजाद प्रतिमा के निकट माल्र्यापण कर उपस्थित जनसमुदाय के साथ फूलपुर के नवनिर्वाचित सांसद श्री नागेन्द्र सिंह पटेल, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 गिरीश चन्द्र त्रिपाठी व पूर्व सांसद राम निहोर राकेश व पूर्व विधायक श्रीयुत प्रभाशंकर पाण्डेय जी, विदुप अग्रहरि आदि लोगों ने अमर शहीदों की क्रान्तिकारी परम्परा अमर रहे- इंकलाब जिंदाबाद- शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू अमर रहे के गगन भेदी नारे लगाये गये। 

उक्त अवसर पर उ0प्र0 पुलिस सशस्त्र बल द्वारा 21 गनशाट फायर कर, सम्मान गारद द्वारा सलामी, एवं पुलिस बैण्ड द्वारा राष्ट्रभक्ति ध्वनि बजाकर उ0प्र0 सरकार की ओर से सम्मान प्रकट किया। तत्पश्चात् सभी अतिथियों ने संस्था के संस्थापक स्वतंत्रता सेनानी स्व0 लल्लू मरकरी के चित्र पर फूल माला चढ़कार उनका भावपूर्ण स्मरण किया। सभी अतिथियों को मंचासीन कराया गया। मात्र 23 वर्ष की अल्पायु में प्राणोत्र्सग करने वाले शहीदों की याद में उनके प्रियगीतों व नारों से बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं व नौजवनों द्वारा आजाद पार्क गुलजार होता रहा। राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवियित्री डा0 रूचि चतुर्वेदी तथा ओरक्षा म0प्र0 से आये कवि सुमित जी ने स्वरिचत श्रद्धांजलि में महा-धन्यभूमि जहाँ शहादत होती े। वह मौत नहीं जहाँ इबादत होती है। जनाब नजीब इलाहाबादी, विमल तन्हा जी, अभय अंजान, अर्चित राज हिन्दुस्तानी, किरन जयहिन्द, रश्मि शुक्ला आदि कई कवियों ने पाठ किया। 

मा0 नागेन्द्र सिंह पटेल सांसद जी ने कहा शहीद-ए-आजम भगत सिंह विश्व के शीर्ष श्रेणी के क्रान्तिवीर व स्वतंत्रता सेनानी थे। ब्रिटिश जज भी उनके बौद्धिक क्षमता का लोहा मानते थे। बनारस हिन्दु विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 गिरीश चन्द्र त्रिपाठी जी ने बताया कि 23 वर्ष के अल्पायु में शहीद हुये भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू में कूट-कूट कर देशभक्ति भरी थी। फांसी के फंदों चूमने के पाँच मिनट पूर्व शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने कहा कि-

‘मरकर भी दिल से ना किकलेगी वतन की उल्फत।
मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी।’
फाँसी पर झूल जाने से पहले तीनों ने गगनभेदी नारा लगाया था, इंकलाब जिंदाबाद। अध्यक्षता करते हुये राजू जायसवाल मरकरी ने कहा कि लाहौर असेम्बली कांड में भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त चाहते तो बम विस्फोट कर वहाँ से भाग सकते थे किन्तु नहीं भागे।
कार्यक्रम का संचालन महासचिव राजबहादुर गुप्ता ने किया व उपाध्यक्ष प्रो0 श्रीबल्लभ मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया।कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्वश्री डा0 वीरेन्द्र सिंह, प्रो0 कृष्ण मुरारी, प्रो0 श्याम बिहारी, मा0 रामनिहोर राकेश पूर्व सांसद, मा0 प्रभाशंकर पाण्डेय पूर्व विधायक, विदुप अग्रहरि, प्रो0 रामाज्ञा राय, बजरंगी सिंह (पूर्व प्राचार्य), सुधीर श्रीवास्तव, अनिल कुमार अन्नू भैया, पदुम नारायण जायसवाल, सरदार जोगेन्द्र सिंह, अध्यक्ष गुरू सिंह सभा, सरदार पृथ्वीपाल सिंह, सरदार अजीत सिंह, सरदार इन्दरपाल सिंह, श्रीमती हरदीप कौर, रेनू सिंह, संगीता गुप्ता, रश्मि शुक्ला, कु0 तनु सिंह, कु0 आस्था सक्सेना, अंजना वर्मा, शिव सेवक सिंह, आनन्द घिड़ियाल, कमलेश सिंह दद्दा (पार्षदगण) महेश त्रिपाठी, विशाल गुप्ता, अतुल राय, अमन सिंह, एन0बी0 मान्ट्रोज, डा0 प्रमोद शुक्ला, पं0 रामधीरज, सांरगधर द्विवेदी, भारत भूषण, किशोर वाष्र्णेय आदि लोग उपस्थित रहे।

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