जनता की शिकायतों के निस्तारण में हो रही अंधेरगर्दी

 

- आंख बंद कर आख्या लगा रहे विभाग

- ऑफिस बैठे-बैठे निस्तारण की हो रही खानापूर्ति

सीतामढ़ी(भदोही)। आधुनिक युग में आईजीआरएस पोर्टल लोगों को शिकायत करने का एक सशक्त माध्यम बन गया है। खुद मुख्यमंत्री योगी आईजीआरएस पोर्टल पर आ रही जनशिकायतों को शीघ्र निस्तारित करने की हिदायत देते देखेे जा रहे हैं। लेकिन भदोही जिले के अधिकारी और कर्मचारी जनशिकायतों के निस्तारण में इस तरह की अंधेरगर्दी और धांधली कर रहे हैं कि अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत उनके ऊपर खूब फिट बैठ रही है। मामला डीघ क्षेत्र के मरसड़ा गांव से की गई शिकायत से जुड़ा हुआ है। बता दें कि उक्त गांव निवासी अशोक कुमार दुबे ने गत 2 जून को सरकार के सशक्त शिकायती व सुझाव माध्यम जनसुनवाई पोर्टल पर माननीय मुख्यमंत्री को अपने गांव में हुए शौचालय में घोटाले से सम्बंधित शिकायत भेजी थी। उक्त शिकायत में उन्होंने अपने व अपने भाई दिनेश कुमार व अपने ताऊ वीरेंद्रनाथ दुबे का बिना शौचालय बने उक्त तीनों व्यक्तियों के नाम पर धनराशि निकाल कर गबन करने का आरोप प्रधान व सचिव पर लगाया था। उक्त शिकायत को विशेष सचिव मुख्यमंत्री अजय कुमार सिंह ने उसी दिन अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज विभाग को भेज दिया। 20 जून को अपर सचिव ने शिकायत जिलाधिकारी भदोही को ट्रांसफर कर दिया। और उक्त शिकायत को निस्तारण हेतु जिलाधिकारी ने 22 जून को डीपीआरओ भदोही को प्रेषित कर दिया। इस शिकायत पर जिला पंचायतराज अधिकारी भदोही ने जो आख्या दी वह आश्चर्यजनक ही नही अपितु पैरों तले जमीन खिसका देने वाली थी। शिकायती सन्दर्भ संख्या-15175170091229 जो शौचालय में गड़बड़ी के बावत दी गई थी उसमें चौरी भदोही निवासी द्वारा सफाई कर्मी चयन के सम्बंध में दी गई शिकायत संख्या-151981700079263 की आख्या अटैच कर दी गई। यही नही ऊपर के अधिकारियों द्वारा भी शिकायत सफलतापूर्वक निस्तारित कर दी गई जो अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। दूसरा मामला जिले के तहसील प्रशासन से जुड़ा हुआ है। बता दें कि कोनिया सर्किल के भावापुर गांव के लालचंद व उनकी पत्नी सोना देवी का गांव की खतौनी के खाता संख्या 272 के गाटा संख्या 61 में नाम दर्ज है। उसमें एक दबंग पिछले डेढ़ माह से कब्जा कर रहा है। पीड़ित द्वारा उक्त मामले के सम्बंध में दिए गए शिकायत सन्दर्भ संख्या-40019817001375 में लेखपाल, कानूनगो समेत तहसील प्रशासन ने जो आख्या दी वह न सिर्फ सच्चाई से परे है बल्कि आश्चर्य करने वाली भी है। तहसील प्रशासन ने 11 अगस्त को आख्या देते हुए कहा कि ग्रामसभा भावापुर की आराजी संख्या 61 के बावत खतौनी में कुल 18 खाता है। उक्त आराजी में आवेदक की कोई भूमि नही है तथा प्रार्थना पत्र निराधार है। जबकि ताजा उध्दरण खतौनी से यह साफ सिद्ध होता दिख रहा है कि खाता संख्या 272 के आराजी नम्बर 61 में कुल 18 खाते हैं और उसी में पीड़ित लालचंद व उसकी पत्नी सोना देवी को भूमिधर घोषित किया गया है। इस तरह के मामलों पर यदि कड़ी कार्रवाई नही की गई और रोक न लगाई गई तो जिले को अपनी कार्यशैली से विकास के पथ पर ले जा रहे जिलाधिकारी विशाख जी व सरकार में दावों और इरादों पर पानी फिरना लाज़मी है।

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