जयपुर। अक्षय कुमार और भूमि पेंढरकर की सुपर हिट फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ यदि आप देख चुके हों, तो आपके लिए हम एक नई फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर आए हैं। इसे आप ‘टॉयलेट: एक तलाक कथा’ शीर्षक दे सकते हैं।
क्योंकि श्वसुराल में टॉयलेट न होने के चलते एक विवाहिता को पति से तलाक के लिए दायर याचिका का ेमंजूरी मिल गई है।
मामला राजस्थान का है। यहां भीलवाड़ा की कुटुंब अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए घर में टॉयलेट नहीं होने को क्रूरता मानते हुए एक महिला की तलाक की याचिका मंजूर कर ली। पीड़िता के तेवर अक्षय कुमार की फिल्म की मुख्य नायिका जितने ही तीखे रहे। टॉयलेट न होने पर वह मायके लौट आई थी।
याचिकाकर्ता महिला की शादी सन 2011 में हुई थी। उसने कुटुंब न्यायालय को बताया कि जब वह श्वसुराल आई तो उसने पाया कि उसके पास न तो कोई कमरा था और न ही घर में टॉयलेट था। उसने बताया कि चार साल तक वह श्वसुराल वालों से मिन्नत करती रही कि वहां कम से कम टॉयलेट बनवा दिया जाए।
महिला ने यह भी बताया कि वह लगातार यह कहती रही कि उसे खुले में शौच के लिए जाने में शर्म आती है। मगर उसे यह कहकर चुप कराने का प्रयास किया गया कि इस घर में हमेशा से ऐसा ही होता आया है।
परेशान होकर सन 2015 में यह महिला मायके आ गई। फिर भी श्वसुराल वालों का रवैया नहीं बदला तो उसने पति से तलाक लेने का मन बना लिया। श्वसुराल वालों ने तलाक से इनकार किया तो वह कुटुंब न्यायालय की शरण में पहुंच गई।
महिला की याचिका को मंजूर करते हुए जज राजेंद्र कुमार शर्मा ने कहा, ‘यह तो महिला के प्रति क्रूरता है और सामाजिक कलंक है।’
कोर्ट ने फैसले में श्वसुराल वालों को फटकारते हुए कहा, ‘क्या कभी यह दर्द हुआ कि घर की मां-बहनों को खुले में शौच जाना पड़ता है? ग्रामीण महिलाएं शौच के लिए रात की प्रतिक्षा करती हैं। तब तक वह बाहर नहीं जा सकती है। किसी ने यह महसूस किया कि कैसी उनकी शारीरिक और मानसिक पीड़ा होती होगी? ऐसे दौर में खुले में शौच की कुप्रथा समाज पर कलंक है। शराब, तंबाकू पर बेहिसाब खर्च करने वालों के घर शौचालय न होना विडंबना है।’
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