नई दिल्ली: देश में इस समय महिलाओं के इतने अधिकार दिए हुए हैं कि कई बार उन अधिकारों के जरिए झूठे दहेज प्रताड़ना के केस में लड़के को और उसके परिवार को फंसा देने के मामले सामने आते हैं। ऐसे में आईपीसी की धारा 498ए के तहत किसी महिला ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत पर पति के पूरे खानदान को गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस मामले में जमानत भी नहीं होती है।
वहीं अब इस सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद लड़के पक्ष को थोड़ी राहत मिली है। दरसअल, मुंबई हाईकोर्ट और फैमिली कोर्ट की वकील वंदना शाह के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में साफ कहा गया है कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत किसी भी आरोपी को तत्काल या एकदम गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा।
- कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि सभी राज्य सरकारें पुलिस से कहें कि वो 498ए के तहत दहेज प्रताड़ना के केस में तुरंत किसी की गिरफ्तारी नहीं करेंगी और अगर गिरफ्तारी करनी भी है तो सीआरपीसी की धारा 41 के प्रावधान के तहत हो।
- सभी पुलिस अधिकारियों को एक चेकलिस्ट दी जाएगी।
- आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से पहले पुलिस को चेकलिस्ट देनी होगी।
- वहीं आरोपी की गिरफ्तारी से मजिस्ट्रेट को पुलिस की रिपोर्ट का परीक्षण करना होगा।
- यदि पुलिस अधिकारी गिरफ्तार नहीं करता है तो, इस फैसले को मामला दर्ज होने के दो हफ्ते में मजिस्ट्रेट को लिखित में बताना होगा।
- CRPC की धारा 41 के तहत आरोपी को केस दायर होने के दो हफ्ते में नोटिस देना होगा
- अगर पुलिस अधिकारी इन निर्देशों का पालन नहीं करता है तो, उसके खिलाफ जांच होगी।
- वहीं अगर बिना कारणों के परखे न्यायिक मजिस्ट्रेट गिरफ्तारी की अनुमति देता है, तो उसे जांच का सामना करना पड़ेगा।
- इन निर्देशों का सामाजिक और कानूनी पक्ष है कि महिलाएं इस कानून का दुरुपयोग नहीं कर पाएंगी।
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