कर्ज से परेशान हैं तो करें ये उपाय, कुछ ही दिनों में हो जाएंगें कर्ज मुक्त



अगर आप पर बहुत अधिक कर्ज हो गया है और आप उसे नहीं चूका पा रहे है तो करें ये उपाय, इसको करने से आपको निश्चित ही लाभ होगा और कुछ ही दिनों में आप कर्ज से मुक्त हो जायेंगे और आपको अपार धन की प्राप्ति होगी !


किसी शुभ तिथि से या बुधवार से महागणपति जी के समक्ष ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र का नियमित पाठ अपनी श्रद्धा अनुसार 3, 5, 8, 9 , अथवा 11 बार 45 दिन नित्य करे | किसी भी प्रकार के कर्ज, ऋण व आर्थिक बाधा से निश्चित मुक्ति मिलेगी |

 ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व, केसरिया अथवा लाल वस्त्र बिछाकर श्री गणेश जी को स्थापित करे, फिर सिंदूर व चमेली के तेल का चोला श्री गजानन को अर्पित कर अपने बाये हाथ की तरफ देसी घी का दीपक व दाहिने हाथ की तरफ सरसो  के तेल या तिल्ली के तेल का दीपक स्थापित करे साथ ही विनायक जी को गुड चने व मोदक का भोग अवश्य लगाये |

इस स्तोत्र का नियमित 11 बार रोज पाठ करने से शीघ्रातिशीघ्र कर्जों से छुटकारा मिल जाता है.



विनियोगः- ॐ अस्य श्रीऋण मोचन महा गणपति स्तोत्र मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः,

 ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-ऋण-मोचनार्थं जपे विनियोगः।


ऋण मुक्ति गणेश स्तोत्रम

ॐ स्मरामि देव-देवेश वक्र-तुणडं महा-बलम्।
षडक्षरं कृपा-सिन्धु, नमामि ऋण-मुक्तये॥१॥

महा-गणपतिं देवं, महा-सत्त्वं महा-बलम्।

महा-विघ्न-हरं सौम्यं, नमामि ऋण-मुक्तये॥२॥

एकाक्षरं एक-दन्तं, एक-ब्रह्म सनातनम्।

एकमेवाद्वितीयं च, नमामि ऋण-मुक्तये॥३॥

शुक्लाम्बरं शुक्ल-वर्णं, शुक्ल-गन्धानुलेपनम्।

सर्व-शुक्ल-मयं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये॥४॥

 रक्ताम्बरं रक्त-वर्णं, रक्त-गन्धानुलेपनम्।

 रक्त-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥५॥

कृष्णाम्बरं कृष्ण-वर्णं, कृष्ण-गन्धानुलेपनम्।

 कृष्ण-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥६॥

पीताम्बरं पीत-वर्णं, पीत-गन्धानुलेपनम्।

पीत-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥७॥

नीलाम्बरं नील-वर्णं, नील-गन्धानुलेपनम्।

नील-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥८॥

धूम्राम्बरं धूम्र-वर्णं, धूम्र-गन्धानुलेपनम्।

धूम्र-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥९॥

सर्वाम्बरं सर्व-वर्णं, सर्व-गन्धानुलेपनम्।

सर्व-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥१०॥

भद्र-जातं च रुपं च, पाशांकुश-धरं शुभम्।

सर्व-विघ्न-हरं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये॥११॥


॥फल-श्रुति॥



यः पठेत् ऋण-हरं-स्तोत्रं, प्रातः-काले सुधी नरः।

षण्मासाभ्यन्तरे चैव, ऋणच्छेदो भविष्यति॥



भावार्थ: जो व्यक्ति उक्त  ऋण मोचन स्तोत्र  का विधि-विधान व पूर्ण निष्ठा से नियमित प्रातः काल पाठ करता हैं उसके समस्त प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिल जाती हैं।

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