नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने नोटबंदी के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। विमल जालान ने नोटबंदी की टाइमिंग और तरीके पर सवाल खड़े किए। विमल जालान 1997 से 2003 को बीच गवर्नर रहे। यह वही वक्त था जब अटल बिहारी वाजपेयी यानी एनडीए की सरकार थी।
मंगलवार (14 दिसंबर) को नोटबंदी पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए विमल ने कहा कि नोटबंदी के लिए सरकार के पास कोई अच्छा कारण होना चाहिए था जैसे सुरक्षा का खतरा या फिर युद्ध की स्थिति। जालान ने कहा, 'जब आप किसी भी लीगल टेंडर को बंद करते हैं तो उसके पीछे कोई सही कारण होना चाहिए। जैसे युद्ध या फिर सुरक्षा का खतरा। लोगों के बीच यह संदेश जाना भी जरूरी है कि नोटबंदी से क्या मिलेगा और उसे क्यों किया जा रहा है। सरकार को लोगों को यह जरूर बताना चाहिए कि यह इस वक्त पर ही क्यों किया जा रहा है।'इसके साथ ही जालान ने नोटबंदी के प्लान को काफी दिन तक सीक्रेट रखने पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, 'प्लान को सीक्रेट रखने का कोई मतलब ही नहीं था। उनके मुताबिक आपातकाल की स्थित में ऐसा किया जा सकता था। लेकिन अभी इसे सर्जिकल स्ट्राइक की तरह छिपाकर करने की जरूरत ही नहीं थी। साफ होना चाहिए था कि एक हफ्ते, दो हफ्ते या तीन हफ्ते में ऐसा किया जाएगा।'
जालान ने यह भी कहा कि वह मानते हैं कि कालेधन को हमारे देश की वित्तीय प्रणाली में शामिल नहीं होना चाहिए। लेकिन उन्हें यह भी लगता है कि सबके पास ही काला धन नहीं है। जालान के मुताबिक, नोटबंदी के प्लान को इस तरीके से बनाया जाना चाहिए था जिससे कालाधन ना रखने वाले कम से कम प्रभावित हों।
आपको मालूम हो कि मोदी सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान किया था। कहा गया था कि 500 और 1000 रुपए के नोट 31 दिसंबर के बाद से नहीं चला करेंगे। साथ ही 500 और 2000 रुपए का नया नोट लाने की भी बात की गई थी।
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