
नई दिल्ली, नोटबंदी से कैश की किल्लत बनी हुई है और लोग परेशान भी हैं लेकिन इस फैसले से प्रॉपर्टी खरीदने में काला धन इस्तेमाल करने वालों के बुरे दिन आने वाले हैं। अगर आपने घर या प्रॉपर्टी खरीदी है तो तैयार हो जाइए सरकार आपसे ये सवाल करने वाली है कि आपके पास इसके लिए पैसा कहां से आया? सिर्फ खरीदने वाले ही नहीं बल्कि बेचने वाले से भी पूछा जाएगा उसने ये घर कब खरीदा था और इसके लिए उसके पास पैसा कहां से आया था?
रियल एस्टेट में है सबसे ज्यादा काला धन
बता दें कि इनकम टैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रियल एस्टेट में सबसे ज्यादा कालाधन लगा हुआ है। यहां काला धन खपाने के कई आसन तरीके हैं। लोग प्रॉपर्टी के दाम कम बताते हैं जिससे स्टांप ड्यूटी बचती है और बाकी कैश दे देते हैं। कई लोग टैक्स डिपार्टमेंट की नजरों से बचने के लिए अपने करीबी रिश्तेदारों, नौकरों और ड्राइवरों के नाम से प्रॉपट्री खरीदते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगी प्रॉपर्टी का लगभग 30 फीसदी बेनामी ट्रांजेक्शन हो सकता है। वहीं जमीन के मामले में यह 30 फीसदी से भी अधिक बेनामी ट्रांजेक्शन हो सकता है।
बता दें कि इनकम टैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रियल एस्टेट में सबसे ज्यादा कालाधन लगा हुआ है। यहां काला धन खपाने के कई आसन तरीके हैं। लोग प्रॉपर्टी के दाम कम बताते हैं जिससे स्टांप ड्यूटी बचती है और बाकी कैश दे देते हैं। कई लोग टैक्स डिपार्टमेंट की नजरों से बचने के लिए अपने करीबी रिश्तेदारों, नौकरों और ड्राइवरों के नाम से प्रॉपट्री खरीदते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगी प्रॉपर्टी का लगभग 30 फीसदी बेनामी ट्रांजेक्शन हो सकता है। वहीं जमीन के मामले में यह 30 फीसदी से भी अधिक बेनामी ट्रांजेक्शन हो सकता है।
इनकम टैक्स की नज़र है
नया इनकम टैक्स कानून आने के बाद अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट घर खरीदने वालों को नोटिस भेज कर पैसे का सोर्स पूछने वाला है, हालांकि डिपार्टमेंट पहले भी ऐसा करता रहा था। नोटबंदी के बाद इनकम टैक्स बेनामी प्रॉपर्टी पर शिकंजा कसने के लिए घर बेचने और खरीदने वाले दोनों से ही पूछताछ करने की तैयारी में है।
असल में बेनामी प्रॉपर्टी उसे कहा जाता है जिसे खरीदे जाते वक़्त उस आदमी के नाम पर लेन-देन नहीं होता जिसने उसके लिए पैसे चुकाए हैं। इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन किसी और नाम पर होता है और पैसे का भुगतान कोई और करता है। कई लोग अपने नौकरों, दोस्तों के नाम पर भी ऐसी प्रॉपर्टी खरीदते हैं। ऐसी प्रॉपर्टी जिस व्यक्ति के नाम खरीदी जाती है, उसे बेनामदार कहा जाता है।
इस कानून के तहत होगी सजा
बता दें कि पहले से ही बेनामी लेन-देन पर रोक लगाने के लिए बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) एक्ट-1988 लागू था। इस कानून के मुताबिक बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। हालांकि मोदी सरकार ने इसे नाकाफी मानते हुए बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) (अमेंडमेंड) एक्ट-2016 लागू किया है। इस नए एक्ट में सजा का दायरा बढ़ाकर उसे और कठोर कर दिया गया है।
बता दें कि पहले से ही बेनामी लेन-देन पर रोक लगाने के लिए बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) एक्ट-1988 लागू था। इस कानून के मुताबिक बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। हालांकि मोदी सरकार ने इसे नाकाफी मानते हुए बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) (अमेंडमेंड) एक्ट-2016 लागू किया है। इस नए एक्ट में सजा का दायरा बढ़ाकर उसे और कठोर कर दिया गया है।
नए कानून के तहत बेनामी प्रॉपर्टी पाए जाने पर सरकार उसे जब्त कर सकती है। इसके आलावा बेनामी लेन-देन का दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल की कठोर कैद की सजा और प्रॉपर्टी की बाजार कीमत पर 25 फीसदी जुर्माने का प्रावधान है। ये दोनों सजा दोषी को साथ-साथ दी जा सकती है। इसके आलावा जो लोग लेन-देन के दौरान जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10 फीसदी तक जुर्माना और 6 माह से लेकर 5 साल तक का जुर्माने का प्रावधान है।
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