
एक महिला को पांच महीने पहले ही बच्चा पैदा हुआ। एक बार फिर जब उसके पेट में दर्द हुआ तो उसने डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उसका अल्ट्रासाउंड कर जब महिला को रिपोर्ट सौंपी तो पूरे परिवार की आंखे फटी रह गईं।दरअसल ये पूरा मामला डिलीवरी के दौरान ऑपरेशन कर किडनी निकालने का है। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद महिला की तबीयत खराब हो गई। इसके बाद उसने तीन अलग-अलग जगहों पर अल्ट्रासाउंड कराया, जिसके बाद ये खुलासा हुआ है।
इस मामले की शिकायत 15 दिन पहले जिले के सीएमओ से की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब मामला मीडिया में आया तो स्वास्थय विभाग की आंखें खुली और प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी।

बता दें कि बरेली के इज्जतनगर की रहने वाली नारायणी प्रेग्नेंट थी। 10 मार्च 2016 को यह इज्जतनगर के ही एक प्राइवेट अस्पताल अग्निहोत्री रोहित मैटरनिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। 10 मार्च को ही डिलीवरी भी हुई। तब एक बच्ची ने जन्म लिया। पूरा परिवार हंसी खुशी घर लौट आया।
नारायणी के पति पातीराम ने बताया कि जब हम अस्पताल से लौटे तो करीब 10 दिन बाद पत्नी के पेट में दर्द शुरू हुआ। काफी दिन तक हम इसे नजरअंदाज करते रहे। इसके बाद टॉयलेट में दिक्कत आने लगी तो जून में डॉक्टर से जांच करवाई।
करीब 20 दिन तक अलग-अलग डॉक्टर को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस दौरान नारायणी चारपाई पर आ गई। हालत ऐसी थी कि वह दूधमुंहे बच्चे को भी कायदे से नहीं ले पा रही थी।
फिर एक एक्दोक्टोर के कहने पर पातीराम ने अपनी पत्नी का अल्ट्रासाउंड कराया। रिपोर्ट देख कर डॉक्टर भी हैरत में पड़ गया। रिपोर्ट से पता चला कि राईट किडनी तो शरीर में है ही नहीं। पातीराम रिपोर्ट लेकर अपनी बीमार पत्नी के साथ जब अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर्स ने उन्हें वहां से भगा दिया।
काफी मिन्नतें की तो कहा गया कि यहीं इलाज कराओ सब ठीक हो जाएगा। पातीराम ने कहा कि अस्पताल में डॉ. रोहिणी ने मेरी पत्नी की जिंदगी बर्बाद कर दी। इलाज तो नहीं शुरू हुआ, लेकिन उलटी धमकियां जरूर मिलने लगी।
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