
लखनऊ । ये बात उत्तर प्रदेश की फिजांओं में तैर रही है कि अबकी बार मुसलमान अखिलेश यादव की ब्राह्मण तुष्टिकरण की नीतियों से नाराज होकर सपा से दूर हो रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस तरह से सरकारी नौकरियों से लेकर शासन – प्रशासन में ब्राह्मणवाद फैला रखा है उसी के चलते समाजवादी पार्टी का आधार वोट यानि यादव और मुसलमान अखिलेश सरकार से बहुत नाराज है.
मुसलमानों में ये नाराजगी खासतौर पर देखी जा रही है. लोगों को समान रूप से नौकरियां देने में अखिलेश सरकार ने भारी पक्षपात किया है. प्रदेश के सभी वर्गों में अखिलेश सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है. इसका खामियाजा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है.
मुसलमानों द्वारा समाजवादी पार्टी को वोट न करने का सबसे बड़ा कारण ये है कि समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों के साथ किया आरक्षण का अपना वादा नहीं निभाया. साल 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा ने प्रदेश के मुसलमानों से वादा किया था कि वो सत्ता में आई तो मुसलमानों को 18 फीसदी प्रदेश सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाएगा. पर अफसोस सपा ने अपना वादा नहीं निभाया.
जानिए क्या हैं वे 5 कारण जिसके चलते मुसलमान अखिलेश यादव से नाराज है …
- मुसलमानों द्वारा सपा को वोट न देने का दूसरा कारण ये है कि अखिलेश यादव एक कमजोर प्रशासक साबित हुए और मुसलमानों की जान-माल की हिफाजत नहीं कर पाऐ. दरअसल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासन काल में छोटे-बड़े कुल 400 से अधिक दंगे हुए जिनमें ज्यादातर बेकसूर मुसलमान मारे गए. मुसलमान एक बात और कभी नहीं भूलेगा कि जब दंगों से पीड़ित मुजफ्फरनगर में जब मुसलमान ठंड से मर रहा था तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत समूचा सैफई कुनबा सैफई में नाच गाने में मशगूल था
- सपा को मुसलमानों द्वारा वोट न देने का तीसरा कारण ये है कि समाजवादी पार्टी ने 2012 के चुनाव से पहले आतंकवाद के नाम पर जेलों में कैद बेगुनाह मुसलमानों को छोड़ने का वादा किया था पर पूरे साढ़े चार साल गुजर जाने के बाद भी अखिलेश यादव ने जेल में बंद बेगुनाह मुसलमानों का नाम तक नहीं लिया. इससे भी मुसलमानों में भारी नाराजगी है.
- समाजवादी पार्टी से मुसलमानों की नाराजगी का चौथा बड़ा कारण ये है कि समाजवादी पार्टी ने अपनी सेकुलर छवि से समझौता किया और भाजपा से कदम -कदम पर अपनी नजदीकियां स्थापित की. चाहे बिहार चुनाव में ऐन मौके पर महागठबंधन को छोड़ने का मामला हो या फिर संसद में कोई मामला हो या फिर सैफई परिवार मे किसी की शादी का मामला हो , मुलायम परिवार की प्रधानमंत्री मोदी से नजदीकियों ने मुसलमानों के मन में समाजवादी पार्टी को लेकर संदेह पैदा कर दिया है. अब तो लोग ये भी कहने लगे हैं कि अखिलेश यादव की नीतियों के चलते समाजवादी पार्टी अब संघी ताकतों का नया ठिकाना बन गई.
- सपा को वोट न करने का मुसलमानों के पांचवां कारण ये है कि अखिलेश यादव मुसलमानों के प्रति दोहरा रवैया रखते हैं. एकतरफ तो अखिलेश यादव अपराधियों से दूरी बनाने की अपनी छवि बनाते हैं पर ऐसा करते समय वो दोहरा रवैया अपनाते हैं. उन्हें मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल से विलय में दिक्कत होती है, उन्हें मंच पर अतीत अहमद से मिलने पर दिक्कत होती है पर उन्हें अपनी कैबिनेट में राजा भैया जैसे अपराधियों से दिक्कत नहीं है. ब्रजेश मिश्रा से परेशानी नहीं होती. बलात्कार का आरोप झेलने वाले गुड्डू पंडित को अपनी पार्टी से विधायक बनाने में कोई परेशानी नहीं है. उन्हें अपनी पत्नी की हत्या का आरोप झेल रहे अमनमणि त्रिपाठी को भी पार्टी का टिकट देने में कोई परेशानी नहीं है. हां अगर परेशानी है तो मुख्तार अंसारी ,से है और अतीक अहमद से है.
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